पहलगाम में तैनाती के दौरान भेजता था खुफिया जानकारी, हमले से 6 दिन पहले ट्रांसफर
Intelligence Information: नई दिल्ली | पाकिस्तान को खुफिया जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार CRPF के ASI मोतीराम जाट से जुड़ी जांच में गंभीर खुलासे हो रहे हैं। मोतीराम की तैनाती जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में थी, जहां 22 अप्रैल को आतंकी हमला हुआ था। हैरानी की बात यह है कि इस हमले से ठीक छह दिन पहले, यानी 16 अप्रैल को ही उसे दूसरे स्थान पर ट्रांसफर कर दिया गया था।
🕵️♂️ NIA ने दिल्ली से किया गिरफ्तार
मोतीराम को नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 26 मई को दिल्ली से गिरफ्तार किया। वह CRPF की 116वीं बटालियन में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) के पद पर तैनात था। NIA का कहना है कि वह 2023 से पाकिस्तान के खुफिया एजेंटों के साथ संपर्क में था और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारियां साझा कर रहा था।
उसे इस काम के बदले वित्तीय लाभ भी मिल रहे थे। फिलहाल, उसे 6 जून तक NIA की हिरासत में भेजा गया है। जवान को 21 मई को सेवा से निलंबित कर दिया गया था।
📱 सोशल मीडिया के ज़रिए संपर्क
CRPF की आंतरिक जांच में यह पाया गया कि मोतीराम ने सोशल मीडिया प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था। उसके मोबाइल और डिजिटल माध्यमों की बारीकी से जांच करने पर गंभीर सुरक्षात्मक चूक सामने आई, जिसके बाद उसे NIA को सौंपा गया।
🇵🇰 जासूसी की कड़ियों में दूसरा नाम – सहदेव गोहिल
इससे पहले गुजरात ATS ने 24 मई को कच्छ से सहदेव सिंह गोहिल को गिरफ्तार किया था। गोहिल पर आरोप है कि उसने BSF और भारतीय नौसेना की यूनिट्स की तस्वीरें और वीडियो वॉट्सऐप के जरिए पाकिस्तानी एजेंट को भेजे।
गोहिल को जून 2023 में एक महिला ‘अदिति भारद्वाज’ के नाम से संपर्क किया गया, जो वास्तव में ISI एजेंट थी। पहली बार संवेदनशील सामग्री भेजने पर 40 हजार रुपए नकद दिए गए थे।
📺 ज्योति मल्होत्रा और अन्य गिरफ्तारियां
15 मई को हरियाणा के हिसार से यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा को भी इसी तरह के जासूसी आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। उससे पहले जुलाई 2023 में भी कच्छ में एक अन्य युवक को इसी ‘अदिति’ नाम की लड़की के संपर्क में आकर जासूसी करने के आरोप में पकड़ा गया था।
⚠️ रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय अलर्ट पर
लगातार हो रही इन गिरफ्तारियों से स्पष्ट है कि पाकिस्तान सोशल मीडिया के माध्यम से भारतीय सुरक्षा बलों में सेंध लगाने की कोशिशें तेज कर चुका है। अब यह राष्ट्रीय सुरक्षा का गंभीर मामला बनता जा रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने इस संबंध में इंटरनल साइबर इंटेलिजेंस रिव्यू शुरू कर दिया है। साथ ही सभी अर्धसैनिक बलों को अपने स्टाफ की डिजिटल गतिविधियों की सख्त निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।
साभार….
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