Investment: मुंबई— निवेश की दुनिया में अक्सर यह देखा गया है कि रिटर्न अपेक्षाओं के अनुरूप न होने पर निवेशक निराश हो जाते हैं। यही निराशा उन्हें बाजार का समय तय करने की कोशिश में धकेल देती है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि दीर्घकालिक निवेश इस अस्थिरता का बेहतर समाधान हो सकता है।
इसी विषय पर पिरामल फाइनेंस के प्रबंध निदेशक जयराम श्रीधरन ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपने अनुभव साझा किए हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में अधिक समय तक बने रहना, समय तय करने की रणनीति से कहीं बेहतर रिटर्न दे सकता है।
25 वर्षों में ₹10,100 बने ₹7.9 लाख
श्रीधरन ने वर्ष 1999 में ₹10,100 का पहला निवेश किया था। यह निवेश ICICI प्रूडेंशियल ईएलएसएस टैक्स सेवर ग्रोथ स्कीम में किया गया था। आज, 25 वर्षों के बाद, यह राशि ₹7,90,457 हो गई है।
यह निवेश 19.05% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है, जो कुल 7,726% का रिटर्न दर्शाता है।
सूचकांकों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन
- निफ्टी-50: 12.48% CAGR (~2,500% रिटर्न)
- सेंसेक्स: 12.15% CAGR (~2,500% रिटर्न)
- श्रीधरन का निवेश: 19.05% CAGR (~7,726% रिटर्न)
ईएलएसएस निवेश: रिटर्न के साथ टैक्स बचत
ईएलएसएस (इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम) निवेशकों को आयकर की धारा 80C के तहत सालाना ₹1.5 लाख तक की टैक्स छूट प्रदान करता है।
हालांकि इसमें बाजार जोखिम जुड़ा होता है, लेकिन लंबी अवधि में उच्च रिटर्न की संभावना इसे एक आकर्षक विकल्प बनाती है।
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