गर्भ में पता कर रहे बच्चे को सिकल सेल तो नहीं
Modern Lab: मध्य प्रदेश के एमवाय अस्पताल, इंदौर में प्रदेश की पहली आधुनिक मालिक्यूलर लैब शुरू हो चुकी है, जो सिकल सेल एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी के निदान और रोकथाम में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह लैब केंद्र और राज्य सरकार की 2047 तक सिकल सेल उन्मूलन की योजना के अंतर्गत स्थापित की गई है।
प्रमुख बिंदु:
- गर्भस्थ शिशु की जांच:
- लैब में अब गर्भ में ही यह पता लगाया जा रहा है कि शिशु सिकल सेल से पीड़ित है या नहीं।
- यदि माता-पिता दोनों सिकल सेल के वाहक हैं, तो बच्चे के प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है।
- उद्देश्य:
- सिकल सेल के नए मरीजों की संख्या को कम करना।
- पीड़ितों को आधुनिक उपचार, जैसे बोन मैरो ट्रांसप्लांट, उपलब्ध कराना।
- सिकल सेल का प्रभाव:
- सिकल सेल एनीमिया में लाल रक्त कोशिकाओं का आकार हंसिए जैसा हो जाता है, जिससे खून की कमी, जोड़ों में दर्द, और अन्य समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- इस बीमारी का कोई स्थायी इलाज नहीं है। केवल वाहक महिला-पुरुष के बीच विवाह संबंध बचाकर पीड़ित संतान के जन्म को रोका जा सकता है।
- आंकड़े और क्षेत्रीय प्रभाव:
- एमवायएच में 1,400 सिकल सेल मरीज रजिस्टर्ड हैं, जिनमें अधिकतर झाबुआ और आलीराजपुर जिलों से हैं।
- प्रदेश के पांच आदिवासी जिलों (आलीराजपुर, अनूपपुर, छिंदवाड़ा, झाबुआ और डिंडौरी) में सिकल सेल के 75% मरीज हैं।
- भारत में जनजातीय आबादी में सिकल सेल लक्षणों की व्यापकता 10% और रोग की व्यापकता 1% है।
- सिकल सेल स्क्रीनिंग में प्रदेश अग्रणी:
- मध्य प्रदेश ने 90 लाख से अधिक लोगों की सिकल सेल स्क्रीनिंग पूरी कर शत-प्रतिशत लक्ष्य प्राप्त कर लिया है।
- 53.87 लाख सिकल सेल कार्ड (59.21%) वितरित कर प्रदेश ने देश में पहला स्थान हासिल किया है।
- मालिक्यूलर लैब का उद्घाटन:
- इस लैब का उद्घाटन प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति द्वारा 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर प्रस्तावित था। हालांकि, यह संभव नहीं हो सका, और अस्पताल ने 1 जनवरी से अपने स्तर पर जांच शुरू कर दी।
महत्व:
- इस लैब की स्थापना से प्रदेश में सिकल सेल के निदान, रोकथाम और उपचार की दिशा में नई संभावनाएं पैदा हुई हैं।
- यह लैब सिकल सेल से प्रभावित आदिवासी क्षेत्रों में जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाएगी।
- source internet… साभार….
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