Moksha Amavasya: नई दिल्ली। पितृ पक्ष की अंतिम तिथि 21 सितंबर को है, जिसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (आश्विन अमावस्या) कहा जाता है। इस दिन पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध, तर्पण और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
सूर्य ग्रहण भी लगेगा, लेकिन भारत में नहीं दिखेगा
21 सितंबर की रात भारतीय समयानुसार 11 बजे से सूर्य ग्रहण शुरू होकर रात 3.24 बजे समाप्त होगा। यह ग्रहण न्यूजीलैंड और पश्चिमी अंटार्कटिका के आसपास दिखाई देगा।
भारत में ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिए देश में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। जिन जगहों पर ग्रहण दिखेगा, वहां ग्रहण शुरू होने से 12 घंटे पहले सूतक लगेगा।
कुतुप काल में करें पितृ तर्पण
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर दोपहर 12 बजे के आसपास कुतुप काल में पितरों के लिए धूप-ध्यान और श्राद्ध करना सबसे शुभ माना गया है। जिनकी मृत्यु किसी भी अमावस्या को हुई हो, या जिनकी मृत्यु तिथि अज्ञात है, उनके लिए भी इस दिन श्राद्ध करना चाहिए।
पितरों की विदाई का दिन
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा का कहना है कि इस तिथि को किए गए श्राद्ध से पितर तृप्त होकर प्रसन्नचित्त भाव से पितृलोक लौट जाते हैं। यही कारण है कि इसे पितरों की विदाई का दिन भी कहा जाता है।
अमावस्या की धार्मिक परंपराएँ
- इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा जैसी नदियों में स्नान का महत्व है। घर पर स्नान करते समय पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान भी शुभ माना जाता है।
- स्नान के बाद धन, अनाज, कपड़े, भोजन, जूते-चप्पल आदि का दान करें।
- गौशाला में दान और गायों को हरी घास खिलाना भी पुण्यकारी माना गया है।
- पितरों के निमित्त चारपाई, छाता, घी, दूध, तिल, चावल, गेहूं आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए।
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