Nuclear reactor: नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को लेकर 2007 में सिविल न्यूक्लियर डील हुई थी, जिसका अब महत्वपूर्ण हिस्सा पूरा हो गया है। अमेरिका ने होल्टेक इंटरनेशनल को भारत में स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) बनाने और डिजाइन करने के लिए मंजूरी दी है। इससे भारत को परमाणु रिएक्टर बनाने की एक नई, उन्नत तकनीक प्राप्त होगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा।
भारत को खासतौर पर प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर (PWR) बनाने की तकनीक मिलेगी, जो दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली तकनीक है। यह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि इससे उसे परमाणु ऊर्जा में खुद को आत्मनिर्भर बनाने का मौका मिलेगा और पर्यावरण पर पड़ने वाले दबाव को भी कम किया जा सकेगा।
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) की मुख्य विशेषताएं यह हैं कि ये रिएक्टर कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं, जल्दी स्थापित किए जा सकते हैं और इनका संचालन आसान है। इसके साथ ही इनका आकार छोटा होता है, जिससे इन्हें आसानी से छोटे स्थानों पर भी स्थापित किया जा सकता है। भारत को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि वह अपनी बढ़ती ऊर्जा मांग को बिना अधिक कार्बन उत्सर्जन के पूरा कर सके।
स्मॉल न्यूक्लियर पावर प्लांट से भारत को कई फायदे हो सकते हैं, जैसे:
- पर्यावरणीय दबाव को कम करना, क्योंकि ये प्लांट कोयला आधारित पावर प्लांट्स के मुकाबले 7 गुना कम कार्बन उत्सर्जित करते हैं।
- इनका निर्माण और डिज़ाइन करना आसान होता है।
- कम समय में स्थापना संभव होती है और जमीन अधिग्रहण की समस्या कम होती है।
- इससे भारत के ऊर्जा ग्रिड को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा, स्मॉल रिएक्टरों के संचालन में तकनीकी खामियां कम होती हैं, जिससे इनका नियंत्रित करना आसान होता है और इनसे होने वाले दुर्घटनाओं की संभावना भी कम होती है, जैसे कि चेर्नोबिल की घटना से सीखा गया है।
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