Order: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि बेटियों को अपने माता-पिता से शिक्षा संबंधी खर्च मांगने का पूरा अधिकार है। जरूरत पड़ने पर माता-पिता को कानूनी रूप से बाध्य किया जा सकता है कि वे बेटी की पढ़ाई के लिए आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराएं।
मामले का विवरण:
- 26 साल से अलग दंपती का मामला:
एक दंपती, जो पिछले 26 साल से अलग रह रहे थे, की बेटी आयरलैंड में पढ़ाई कर रही थी। - 43 लाख रुपए शिक्षा के लिए:
पिता द्वारा दिए गए 73 लाख रुपए के सेटलमेंट में से 43 लाख रुपए बेटी की पढ़ाई के लिए थे। - बेटी का इनकार:
बेटी ने अपनी गरिमा और आत्मसम्मान का हवाला देते हुए यह रकम लेने से मना कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
- बेटी का अधिकार:
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने कहा कि बेटी को यह रकम रखने का अधिकार है।- उसे यह धनराशि अपनी मां या पिता को लौटाने की आवश्यकता नहीं है।
- वह इसे जैसे चाहे खर्च कर सकती है।
- पिता की वित्तीय क्षमता:
कोर्ट ने कहा कि पिता की ओर से पैसे देना यह साबित करता है कि वह आर्थिक रूप से सक्षम हैं और बेटी की पढ़ाई में मदद कर सकते हैं।
सेटलमेंट का निष्कर्ष:
- 28 नवंबर 2024 को हुआ समझौता:
पति ने 73 लाख रुपए पत्नी और बेटी को देने पर सहमति जताई थी:- 43 लाख रुपए बेटी की पढ़ाई के लिए।
- 30 लाख रुपए पत्नी के लिए।
- तलाक की स्वीकृति:
कोर्ट ने कहा कि पत्नी को 30 लाख रुपए मिल चुके हैं। दोनों पक्ष पिछले 26 साल से अलग हैं, ऐसे में आपसी सहमति से तलाक दिया जाना उचित है।
आदेश:
- पति-पत्नी कोई नया केस दर्ज नहीं करेंगे।
- पेंडिंग मामलों का निपटारा सेटलमेंट के तहत किया जाएगा।
- भविष्य में कोई नया दावा नहीं किया जाएगा।
यह फैसला बेटियों के अधिकारों को लेकर एक महत्वपूर्ण संदेश देता है और माता-पिता की जिम्मेदारी को रेखांकित करता है।
source internet… साभार….
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