Saturday , 12 July 2025
Home Uncategorized Political: 75 की उम्र पर मोहन भागवत की टिप्पणी से गरमाया सियासी माहौल
Uncategorized

Political: 75 की उम्र पर मोहन भागवत की टिप्पणी से गरमाया सियासी माहौल

75 की उम्र पर मोहन भागवत की

पीएम मोदी को लेकर अटकलें तेज

Political: हैदराबाद/नागपुर: – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी ने देश के राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया है। नागपुर में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा, “जब कोई व्यक्ति 75 वर्ष का हो जाता है, तो उसे स्वयं रुक जाना चाहिए और दूसरों के लिए रास्ता छोड़ देना चाहिए।” यह बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस वर्ष सितंबर में 75 वर्ष के हो जाएंगे, जिसके चलते इस बयान को सीधा या परोक्ष रूप से पीएम मोदी के संदर्भ में देखा जा रहा है


📘 कार्यक्रम का संदर्भ

यह टिप्पणी 9 जुलाई को नागपुर में RSS विचारक मोरोपंत पिंगले पर आधारित पुस्तक ‘मोरोपंत पिंगले: द आर्किटेक्ट ऑफ हिंदू रिसर्जेंस’ के विमोचन अवसर पर की गई थी। मोहन भागवत ने पिंगले को “पूर्ण निस्वार्थता की प्रतिमूर्ति” बताते हुए कहा कि उन्होंने स्वयं तय समय आने पर संगठन से पीछे हटना चुना, ताकि नए लोगों को अवसर मिल सके। भागवत ने कहा, “जब 75 की उम्र में शॉल ओढ़ाई जाती है, तो उसका अर्थ यह होता है कि हमारी उम्र हो चुकी है और अब थोड़ा किनारे हो जाना चाहिए।”


⚡ सियासी हलचल और प्रतिक्रियाएं

RSS प्रमुख की यह टिप्पणी तुरंत ही राजनीतिक गलियारों में हलचल का कारण बनी। विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे प्रधानमंत्री मोदी के लिए अप्रत्यक्ष संदेश करार दिया। शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा,

“इस बयान से साफ है कि भाजपा और RSS के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा। यह पीएम मोदी को रिटायरमेंट का संकेत हो सकता है।”

हालांकि, भाजपा की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है


🔎 उम्र और नेतृत्व: नया विमर्श?

इस बयान ने एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया है – क्या राजनीति में भी उम्र की एक सीमा तय होनी चाहिए?
RSS में परंपरागत रूप से 75 वर्ष की उम्र में सक्रिय कार्य से स्वयं हटने की परंपरा रही है, जिसे भाजपा में भी कई बार देखा गया है (जैसे लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के मामले में)।

लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक इस विषय पर कोई संकेत नहीं दिया है, और उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी ऊर्जा और कार्यक्षमता अभी भी अपराजेय है।


🧭 मोरोपंत की भविष्यवाणी का उल्लेख

भागवत ने इस अवसर पर मोरोपंत पिंगले की राजनीतिक सूझबूझ की तारीफ करते हुए आपातकाल के बाद की एक भविष्यवाणी को याद किया।

“जब 1977 में चुनाव की चर्चा चल रही थी, मोरोपंत ने कहा था कि यदि समूचा विपक्ष एकजुट हो जाए, तो 276 सीटें जीती जा सकती हैं — और चुनाव परिणामों में वही हुआ।”

साभार… 

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

Dirt: गंदगी से सराबोर हुआ अस्पताल परिसर

संक्रमण काल में सफाई नहीं होने से फैल सकती है बीमारी Dirt:...

Demand: प्लेन क्रैश : 11A सीट पर बैठे अकेले बचे यात्री – अब इस सीट की डिमांड आसमान पर

Demand: अहमदाबाद | 12 जून 2025 को हुआ एयर इंडिया विमान हादसा,...

Meditation: सिर्फ 10 मिनट का मेडिटेशन भी बदल सकता है आपकी ज़िंदगी, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

Meditation: भोपाल | व्यस्त जीवनशैली, बढ़ता तनाव और डिजिटल दुनिया की भागदौड़...