Power plant: मध्यप्रदेश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है, और इसी वजह से 4 नए थर्मल पावर प्लांट लगाए जा रहे हैं। हालांकि, थर्मल प्लांट से होने वाला प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन पर्यावरण के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है।
मध्यप्रदेश में बिजली उत्पादन की स्थिति
📌 बिजली की वर्तमान मांग: 18,000 मेगावॉट से अधिक
📌 बिजली उत्पादन स्रोत:
- थर्मल पावर प्लांट: 4500+ मेगावॉट
- हाइड्रो पावर (जलविद्युत): 922 मेगावॉट
- सौर ऊर्जा: 5277 मेगावॉट
- संयुक्त क्षेत्र के प्लांट: 4500+ मेगावॉट
- कुल उत्पादन: 18,000+ मेगावॉट
📌 नए पावर प्लांट (4100 मेगावॉट) के स्थान:
✅ सिंगाजी (खंडवा)
✅ बीरसिंहपुर (उमरिया)
✅ सारणी (बैतूल)
✅ चाचई (अनूपपुर)
📌 निवेश: ₹25,000 करोड़
थर्मल पावर प्लांट: लाभ और नुकसान
✅ लाभ:
✔ बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करेगा।
✔ औद्योगीकरण और विकास को गति मिलेगी।
✔ नई नौकरियां और आर्थिक विकास होगा।
❌ नुकसान:
❌ प्रदूषण: कोयला आधारित प्लांट कार्बन डाइऑक्साइड और फ्लाई ऐश उत्सर्जित करते हैं।
❌ पर्यावरणीय खतरा: जल स्रोतों और कृषि भूमि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
❌ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें: स्थानीय लोगों को सांस और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
❌ सौर और पवन ऊर्जा की अनदेखी: सरकार हरित ऊर्जा बढ़ा रही है, लेकिन थर्मल प्लांट से यह पहल कमजोर हो सकती है।
समाधान और सुझाव
🔹 क्लीन कोल टेक्नोलॉजी अपनाई जाए, जिससे प्रदूषण कम हो।
🔹 फ्लाई ऐश का उपयोग कंस्ट्रक्शन और सीमेंट इंडस्ट्री में किया जाए।
🔹 रिन्यूएबल एनर्जी को और बढ़ावा दिया जाए, ताकि थर्मल पावर प्लांटों पर निर्भरता कम हो।
🔹 सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा में निवेश बढ़ाया जाए, ताकि हरित और स्वच्छ ऊर्जा का इस्तेमाल हो।
source internet… साभार….
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