महिलाओं ने उबटन से किया भगवान का श्रृंगार, फुलझड़ी से होगी पर्व की शुरुआत
Preparations complete: उज्जैन। तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण इस बार 20 अक्टूबर, सोमवार को सुबह रूप चौदस और शाम को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा।
उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर में देशभर में सबसे पहले सभी पर्व मनाने की परंपरा के तहत, इस बार भी सुबह भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का विशेष अभ्यंग स्नान और श्रृंगार किया जाएगा।
🌸 महिलाओं ने तैयार किया सुगंधित उबटन
रूप चौदस पर हर साल की तरह इस बार भी केवल एक दिन पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल के विशेष श्रृंगार में शामिल होंगी।
वे भगवान को केसर, चंदन, इत्र, खस और सफेद तिल से बने सुगंधित उबटन से स्नान कराएंगी।
इसके बाद पंचामृत पूजन और कर्पूर आरती की जाएगी।
महिलाओं द्वारा संपन्न यह विशेष आरती वर्ष में सिर्फ इसी दिन होती है।
पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि सोमवार तड़के चार बजे भस्म आरती के दौरान महिलाओं द्वारा भगवान को उबटन लगाया जाएगा, जिसके बाद दिवाली उत्सव की शुरुआत एक फुलझड़ी जलाकर की जाएगी।
✨ दिवाली पर महाकाल को अन्नकूट का भोग
पुजारी महेश गुरु के अनुसार दिवाली के दिन भगवान महाकाल को अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा।
भोग में धान, खाजा, शक्करपारे, गूंजे, पपड़ी, मिठाई सहित कई पारंपरिक व्यंजन शामिल होंगे।
विशेष रूप से मूली और बैंगन की सब्जी भी अर्पित की जाएगी।
💦 महाशिवरात्रि तक गर्म जल से स्नान की परंपरा
कार्तिक मास की चौदस से सर्दियों की शुरुआत मानी जाती है।
इसी परंपरा के अनुसार भगवान महाकाल को अब गर्म जल से स्नान कराया जाएगा, जो महाशिवरात्रि तक जारी रहेगा।
इसे अभ्यंग स्नान कहा जाता है और इसका उद्देश्य ठंड के मौसम में भगवान का ताप संतुलन बनाए रखना है।
🌺 विदेशी फूलों से सजेगा महाकाल मंदिर
दिवाली पर मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी विद्युत रोशनी, फूलों और रंगोली से सजाया गया है।
इस अवसर पर थाईलैंड, बैंकॉक, मलेशिया के साथ बेंगलुरू, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई से मंगाए गए एंथोरियम, लिली, कॉर्निशन, सेवंती और डेजी फूलों से मंदिर को सजाया जाएगा।
पूरे परिसर में दीपों और पुष्प सज्जा से दिवाली का माहौल रहेगा।
🔥 मंदिर परिसर में आतिशबाजी पर पूर्ण प्रतिबंध
दिवाली के अवसर पर गर्भगृह, कोटितीर्थ कुण्ड, मंदिर परिक्षेत्र और श्री महाकाल महालोक क्षेत्र में
किसी भी प्रकार की आतिशबाजी, पटाखे या ज्वलनशील पदार्थ लाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया गया है।
केवल आरती के दौरान एक पारंपरिक फुलझड़ी जलाने की अनुमति है, जो मंदिर की प्राचीन परंपरा का हिस्सा है।
साभार…
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