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Process: मध्य प्रदेश में पांच नई ओबीसी जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू

मध्य प्रदेश में पांच नई ओबीसी

Process: भोपाल: मध्य प्रदेश में पांच नई ओबीसी जातियों को केंद्रीय सूची में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस पहल के तहत कलार (जायसवाल), कुड़मी, दमामी, फूलमाली (फूलमारी), और लोधा (तंवर) जातियों को राष्ट्रीय स्तर पर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की सूची में शामिल किया जा सकता है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस मुद्दे पर जनसुनवाई आयोजित की, जिसमें इन जातियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

प्रमुख बिंदु:

  1. जनसुनवाई और बैठक:
    • जनसुनवाई का आयोजन शुक्रवार को भोपाल में हुआ।
    • अध्यक्षता राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर ने की।
    • बैठक में राज्यमंत्री कृष्णा गौर, आयोग के सलाहकार राजेश यादव, सदस्य भुवन भूषण कमल, और अवर सचिव योगेश ढींगरा मौजूद थे।
  2. जातियों को शामिल करने का उद्देश्य:
    • इन जातियों को केंद्रीय ओबीसी सूची में शामिल करने से उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर आरक्षण और अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा।
    • इस प्रक्रिया के तहत, संबंधित जातियों की स्थिति और उनकी मांगों का आकलन किया जा रहा है।
  3. समीक्षा और रिपोर्ट:
    • बैठक में सर्वे रिपोर्ट की त्रुटियों को सुधारने के निर्देश दिए गए।
    • मंत्री कृष्णा गौर ने कहा कि रिपोर्ट में मौजूद कमियों को जल्द दूर कर एक माह में समीक्षा के लिए आयोग को भेजा जाएगा।

तंवर जाति पर विवाद:

  1. जनसुनवाई में आरोप:
    • तंवर पक्ष ने आरोप लगाया कि लोधा (तंवर) पक्ष के एक सदस्य ने सामान्य जाति (राजपूत) का प्रमाण पत्र लेकर सरकारी नौकरी हासिल की।
    • इसके बाद अपने बच्चों को अनुसूचित जाति (एसटी) प्रमाण पत्र का लाभ दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
  2. समुदाय की आपत्ति:
    • तंवर समाज के अनुसार, ऐसे मामलों की वजह से तंवर जाति अनुसूचित जाति (एसटी) की सूची से बाहर हो गई है।
    • आयोग ने इस विवाद की जांच के निर्देश दिए हैं।

आगे की प्रक्रिया:

  • सर्वे रिपोर्ट में सुधार: आयोग द्वारा रिपोर्ट का पुनर्मूल्यांकन किया जाएगा।
  • फैसला: केंद्रीय सूची में शामिल किए जाने का अंतिम निर्णय रिपोर्ट और जनसुनवाई के निष्कर्षों पर आधारित होगा।

इस पहल से इन जातियों को शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक सुरक्षा में अधिक अवसर मिलने की संभावना है, लेकिन जातिगत विवाद आयोग के निर्णय को प्रभावित कर सकता है।

source internet…  साभार…. 

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