Protection: भोपाल, मध्य प्रदेश — सागर जिले के ऐरण गांव में भगवान श्रीकृष्ण भक्ति के अब तक के सबसे प्राचीन पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं, जो गुप्त काल (चौथी–पांचवीं शताब्दी) के हैं। यहां महाविष्णु मंदिर की दीवारों पर पत्थर के पैनलों में श्रीकृष्ण लीला के 20 से अधिक प्रसंग अद्भुत शिल्पांकन के रूप में दर्ज हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) इन पैनलों के संरक्षण कार्य का लगभग 75% पूरा कर चुका है, और अगले तीन–चार महीनों में इन्हें पर्यटकों व श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए तैयार किया जाएगा।
पुरातत्वविदों के अनुसार, पैनलों में श्रीकृष्ण जन्म, वसुदेव द्वारा यमुना पार कराना, पूतना वध, कालिया नाग दमन, गोवर्धन धारण, रासलीला, कंस वध समेत कई महत्वपूर्ण कथाएं बारीकी से उकेरी गई हैं। भाव-भंगिमा, वस्त्राभूषण और दृश्यांकन की सूक्ष्मता इतनी अद्वितीय है कि इन्हें क्रम से देखने पर यह चलचित्र की तरह प्रतीत होते हैं।
गुप्त काल में ऐरण एक समृद्ध व्यापारिक व सामरिक केंद्र था, जिसका उल्लेख समुद्रगुप्त और परवर्ती गुप्त शासकों के शिलालेखों व सिक्कों में भी मिलता है। यहां चौथी–पांचवीं शताब्दी में बने दशावतार मंदिर का भी उल्लेख मिलता है, जिसे 19वीं सदी में जनरल कनिंघम ने दर्ज किया था। मंदिर के कुछ हिस्से और महाविष्णु, महावराह व नरसिंह की प्रतिमाएं आज भी सुरक्षित हैं।
ASI के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. शिवकांत वाजपेयी का कहना है कि इन पैनलों के संरक्षण के बाद ऐरण श्रद्धालुओं और इतिहासप्रेमियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बन जाएगा।
साभार…
Leave a comment