Restrictions: नई दिल्ली | भारत सरकार ने बांग्लादेश से जूट और उससे जुड़े उत्पादों के आयात पर सख्त नियंत्रण लगाने का निर्णय लिया है। अब ये उत्पाद सिर्फ महाराष्ट्र के न्हावा शेवा बंदरगाह के जरिए ही भारत में प्रवेश कर सकेंगे। वाणिज्य मंत्रालय के तहत डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड (DGFT) ने शुक्रवार को इस बाबत आधिकारिक अधिसूचना जारी की।
🎯 बढ़ते व्यापारिक तनाव और घरेलू उद्योग की सुरक्षा
सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापारिक तनाव के चलते और भारतीय जूट उद्योग के हितों की रक्षा के लिए लिया गया है। बांग्लादेश से सस्ते और सब्सिडी वाले जूट उत्पादों का आयात, घरेलू निर्माताओं को नुकसान पहुँचा रहा था।
🔍 SAFTA समझौता बना चुनौती
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) समझौते के तहत बांग्लादेश से ड्यूटी-फ्री इंपोर्ट की सुविधा है। लेकिन भारतीय अधिकारियों का आरोप है कि बांग्लादेशी एक्सपोर्टर्स गलत लेबलिंग, फर्जी घोषणाएं और तकनीकी छूट का दुरुपयोग कर रहे थे ताकि वे अधिक सब्सिडी ले सकें और ड्यूटी से बच सकें।
⚖️ एंटी-डंपिंग ड्यूटी के बाद भी नहीं रुका इंपोर्ट
इससे पहले DGAD (एंटी-डंपिंग निदेशालय) ने जूट उत्पादों पर एंटी-डंपिंग ड्यूटी भी लगाई थी, लेकिन आयात में कोई खास गिरावट नहीं आई। ऐसे में सरकार ने अब आवक के रास्ते को नियंत्रित करने का कड़ा कदम उठाया है।
⚠️ अब सिर्फ न्हावा शेवा पोर्ट से ही अनुमति
अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि बांग्लादेश से जूट उत्पादों का आयात केवल न्हावा शेवा पोर्ट से किया जा सके, जिससे क्वालिटी चेक, कस्टम निगरानी और लेबलिंग की जांच को केंद्रीकृत और कड़ा बनाया जा सके। इस कदम का उद्देश्य अनुचित व्यापार प्रथाओं पर अंकुश लगाना है।
🌾 भारतीय जूट उद्योग को राहत की उम्मीद
यह निर्णय भारतीय जूट उद्योग, विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में काम करने वाले हजारों किसानों और श्रमिकों के लिए राहत ला सकता है। सरकार का मानना है कि इससे आत्मनिर्भर भारत अभियान को भी मजबूती मिलेगी और ग्रामीण रोजगार को संरक्षण मिलेगा।
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