निर्माण प्रक्रिया होगी आसान और पर्यावरण-अनुकूल
Shift: मध्यप्रदेश सरकार भूमि विकास नियम-2012 में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इन संशोधनों का उद्देश्य भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए निर्माण प्रक्रियाओं को सरल बनाना और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है।
मुख्य बदलाव और प्रावधान:
- जमीन के साथ निर्माण की अनुमति का ट्रांसफर:
- अब जमीन खरीदने के बाद लेआउट की अलग से अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी।
- यदि लेआउट प्लान बदला जाएगा, तो नई अनुमति लेनी होगी।
- ग्रीन बिल्डिंग और सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जोर:
- 100 वर्गमीटर से बड़े प्लॉट पर ग्रीन बिल्डिंग मापदंडों का पालन अनिवार्य होगा।
- हर 80 वर्गमीटर क्षेत्र में एक पेड़ लगाना अनिवार्य।
- वेस्ट वाटर रीसाइकलिंग सिस्टम अनिवार्य, खासकर उन भवनों में जो प्रतिदिन 10,000 लीटर से अधिक पानी डिस्चार्ज करते हैं।
- बिजली का 5% या 20 वाट प्रति वर्गफुट रुफ टॉप सोलर सिस्टम से उत्पादित करना होगा।
- बड़े भवनों (नर्सिंग होम, होटल, हॉस्टल, आदि) में सोलर वाटर हीटिंग सिस्टम लगाना अनिवार्य होगा।
- इलेक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग की सुविधाएं:
- नई बहुमंजिला इमारतों की पार्किंग में ईवी चार्जिंग पॉइंट अनिवार्य होंगे।
- मौजूदा भवनों में चार्जिंग पॉइंट बनाने पर प्रॉपर्टी टैक्स में छूट का प्रावधान।
- एफएआर में छूट:
- 0.25 अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशियो (एफएआर) का प्रावधान।
- यह सुविधा ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) सर्टिफिकेट के माध्यम से खरीदी जा सकेगी।
- आग सुरक्षा और स्वच्छता:
- 45 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों में ऑटोमेटिक स्प्रिंकलर सिस्टम लगाना अनिवार्य।
- सार्वजनिक भवनों में महिलाओं और विजिटर्स के लिए अलग-अलग टॉयलेट की व्यवस्था।
संशोधन की प्रक्रिया:
- नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने संशोधन का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है।
- नोटिफिकेशन जारी होने के बाद दावे और आपत्तियां ली जाएंगी।
- अंतिम संशोधन के बाद भूमि मालिकों और डेवलपर्स को टीडीआर सर्टिफिकेट के जरिए अतिरिक्त निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
नए मापदंडों के लाभ:
- पर्यावरण संरक्षण: ग्रीन बिल्डिंग और सोलर सिस्टम से कार्बन उत्सर्जन कम होगा।
- इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार: ईवी चार्जिंग पॉइंट और अग्नि सुरक्षा प्रावधान से स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा।
- निर्माण प्रक्रिया में सरलता: भूमि स्वामित्व और निर्माण अनुज्ञा में सुधार से समय और संसाधन की बचत होगी।
यह बदलाव न केवल मध्यप्रदेश में निर्माण और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देंगे, बल्कि राज्य को केंद्र के मॉडल बिल्डिंग बायलॉज 2016 के अनुरूप भी बनाएंगे।
source internet… साभार….
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