Simhastha: पीआईयू को नमामि क्षिप्रे परियोजना प्रबंध इकाई नाम दिया गया है। इस स्पेशल पीआईयू का लक्ष्य 2028 से पहले क्षिप्रा नदी पर निर्माणाधीन और प्रस्तावित सभी परियोजना को तीन साल के भीतर पूरा कराना है।
क्षिप्रा नदी को अविरल और प्रदूषण मुक्त करने की योजना: मुख्य बिंदु
- प्रमुख उद्देश्य:
- सिंहस्थ-2028 के लिए क्षिप्रा नदी को स्वच्छ, अविरल और प्रदूषण मुक्त बनाना।
- निर्माणाधीन और प्रस्तावित परियोजनाओं को समय सीमा में पूरा करना।
- स्पेशल पीआईयू का गठन:
- नाम: नमामि क्षिप्रा परियोजना प्रबंध इकाई।
- लक्ष्य: 2028 से पहले सभी परियोजनाओं को तीन वर्षों के भीतर पूरा करना।
- प्रमुख अधिकारी:
- डायरेक्टर: पदेन चीफ इंजीनियर (उज्जैन डिवीजन)।
- एडिशनल डायरेक्टर: पदेन सुपरिटेंडिंग इंजीनियर (मॉनिटरिंग एंड लॉ)।
- टीम संरचना:
- 5 एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (1 पर्यावरण विशेषज्ञ सहित)।
- 6 असिस्टेंट इंजीनियर।
- 9 सब इंजीनियर।
- साधिकार समिति का गठन:
- अध्यक्षता: मुख्य सचिव।
- सदस्य:
- कृषि उत्पादन आयुक्त।
- एससीएस (वित्त), एसीएस (जल संसाधन), एसीएस (नर्मदा घाटी विकास)।
- प्रमुख सचिव (योजना विभाग)।
- चीफ इंजीनियर (जल संसाधन विभाग)।
- विशेष आमंत्रित सदस्य:
- प्रमुख सचिव (नगरीय प्रशासन एवं विकास)।
- प्रमुख सचिव (पर्यावरण विभाग)।
- योजना का महत्व:
- सिंहस्थ-2028 में लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ और अविरल क्षिप्रा नदी की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- नदी प्रदूषण को रोकने के लिए पर्यावरणीय विशेषज्ञता का उपयोग।
- परियोजनाओं की प्रभावी निगरानी और क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक और तकनीकी ढांचे को मजबूत करना।
यह कदम सिंहस्थ-2028 की तैयारी को एक नया आयाम देने के साथ ही पर्यावरणीय सुधारों की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
source internet… साभार….
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