Solar Energy: नई दिल्ली। छतों पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया को और सुलभ बनाने के लिए सरकार ने पीएम सूर्य घर योजना के तहत दो नए वित्तीय मॉडल—आरईएससीओ मॉडल और उपयोगिता-आधारित एकत्रीकरण मॉडल—लॉन्च किए हैं। इन मॉडलों की विशेषता यह है कि उपभोक्ता को अपनी छत पर सौर संयंत्र लगाने के लिए कोई अग्रिम खर्च नहीं उठाना होगा।
आरईएससीओ मॉडल: तीसरे पक्ष की भागीदारी
- इस मॉडल के तहत थर्ड पार्टी कंपनियां उपभोक्ताओं की छतों पर सौर संयंत्र स्थापित करेंगी।
- उपभोक्ता को संयंत्र की स्थापना के लिए भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
- केवल सौर ऊर्जा से उत्पन्न बिजली के उपयोग के लिए कंपनियों को भुगतान करना होगा।
उपयोगिता-आधारित एकत्रीकरण मॉडल: डिस्काम की भूमिका
- इस मॉडल में डिस्काम (बिजली वितरण कंपनियां) या राज्य सरकार द्वारा नामित संस्थाएं परियोजनाओं की स्थापना करेंगी।
- उपभोक्ता को केवल उपयोग की गई सौर ऊर्जा का शुल्क देना होगा।
सौर ऊर्जा निवेश को प्रोत्साहन
- आरईएससीओ मॉडल में निवेश को सुरक्षित बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये का कोष तैयार किया है।
- इस पहल से जोखिम को कम करते हुए निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
योजना के बड़े लक्ष्य
- पीएम सूर्य घर योजना का उद्देश्य मार्च 2027 तक एक करोड़ घरों को सौर ऊर्जा से जोड़ना है।
- योजना के तहत फरवरी 2024 में 75,021 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था।
- सौर ऊर्जा संयंत्रों पर 40% सब्सिडी प्रदान की जाती है, जिससे यह ऊर्जा स्रोत किफायती और सुलभ बनता है।
सफलताएं और क्षेत्रीय प्रदर्शन
- गुजरात में सबसे अधिक सौर संयंत्र स्थापित किए गए, इसके बाद महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और केरल का स्थान है।
- अब तक 1.45 करोड़ से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं।
- मुख्य मांग 3-5 किलोवाट क्षमता के संयंत्रों में देखी गई, जो कुल इंस्टॉलेशन का 77% हैं।
नवीकरणीय ऊर्जा का उज्ज्वल भविष्य
पीएम सूर्य घर योजना अक्षय ऊर्जा को जन-जन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभा रही है। यह न केवल पर्यावरण को संरक्षित करने में सहायक है, बल्कि आम नागरिकों को सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराने में भी सफल हो रही है। क्या आपके घर की छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र है? अगर नहीं, तो यह सही समय है इस योजना का लाभ उठाने का!
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