Spa camp: उमरिया। बाघों के लिए मशहूर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व इन दिनों हाथियों की खातिरदारी में जुटा है। यहां रिजुविनेशन कैंप (कायाकल्प शिविर) चल रहा है, जिसमें हाथियों को आराम, पौष्टिक भोजन, स्पा, मालिश और मेकअप तक दिया जा रहा है। यह शिविर हर साल अगस्त के दूसरे पखवाड़े से सितंबर के आखिरी सप्ताह तक आयोजित किया जाता है। इस बार कैंप 24 से 30 सितंबर तक ताला परिक्षेत्र में हो रहा है।
कैंप की शुरुआत और उद्देश्य
- यह परंपरा 2011 से शुरू हुई थी।
- बांधवगढ़ में मौजूद 15 हाथियों (9 नर, 6 मादा और 3 बच्चे) को इसमें शामिल किया गया है।
- फील्ड डायरेक्टर अनुपम सहाय के अनुसार, इसका उद्देश्य हाथियों के स्वास्थ्य की जांच और उन्हें आराम देना है।
- साथ ही स्थानीय लोगों में वन्यजीव संरक्षण को लेकर जागरूकता बढ़ाना भी इसका हिस्सा है।
कैसे होता है ‘हाथियों का स्पा’
- सुबह नहलाने के बाद तेल मालिश और चंदन लेप किया जाता है।
- फिर सिंदूर और गुलाल से हाथियों का मेकअप होता है।
- दोपहर में शहद लगी रोटियों, सेब, केला, अनानास और गन्ने का लंच कराया जाता है।
- भोजन के बाद हाथियों को जंगल में छोड़ दिया जाता है।
स्वास्थ्य और सुरक्षा जांच
- ब्लड सैंपल लेकर लैब भेजे जाते हैं।
- पैरों में नीम का तेल और सिर पर अरंडी का तेल लगाया जाता है।
- पंजों की चोटों के लिए विशेष देखभाल होती है।
- मादा हाथियों को, खासकर जिन्होंने बच्चों को जन्म दिया है, विटामिन युक्त आहार दिया जाता है।
हाथियों की विशेष कहानियां
- गौतम: 79 साल का सबसे बुजुर्ग हाथी, 1978 में कान्हा से लाया गया।
- गंगा: महज 1 साल की सबसे छोटी हाथिनी।
- अनारकली: 1978-79 में बिहार के सोनपुर मेले से लाकर बांधवगढ़ में शामिल की गई।
- श्याम, रामा और लक्ष्मण: अलग-अलग जिलों से रेस्क्यू कर लाए गए हाथी।
हाथियों की भूमिका
- हाथी जंगल ट्रैकिंग, गश्त और रेस्क्यू ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाते हैं।
- बाघ या तेंदुए को पकड़ने और बचाने के काम में इनका सहयोग अनिवार्य है।
- साभार…
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