स्वतंत्रता दिवस की 79 वीं वर्षगांठ पर विशेष
Specific: चिचोली (आनंद रामदास राठौर)। कभी वो दिन भी आएगा, कि जब आज़ाद हम होंगें। ये अपनी ही ज़मीं होगी, ये अपना आसमाँ होगा।।
आज हम आजाद भी है, और खुले आसमान से लगाकर खुली हवा में सास भी ले रहे हैं और स्वतंत्रता दिवस की 79 वी वर्षगांठ मनाने जा रहे है। लेकिन हमें गुलामी की जंजीरों से आजाद कराने वाले वे आजाद लोग अब हमारे बीच में नहीं है। स्वतंत्रता दिवस पर उनकी अमर स्मृति को आज भी हम याद करके गौरवान्वित महसूस करते हैं। वे जांबाज हमारे बीच में नहीं है। एक छोटे से गांव में आज से 79 वर्ष पूर्व 22 से 30 वर्ष के युवाओं ने अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के लिए अंग्रेजी हुकूमत की नींव खोद दी थी।
बात उस समय की है, जब अंग्रेजों को घूर कर देखना भी अपराध था। इस दौर में चिचोली के चौबीस, युवाओं ने भारत माता को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए नमक सत्याग्रह आंदोलन में शामिल चिचोली के तीन नागरिकों की गिरफ्तारी का विरोध कर चिचोली थाने का घेराव किया था। अंग्रेजी पलटन के आगे बात इतनी बढ़ी की युवाओं को विरोध करने के कारण एक समय तो चिचोली में भी जलियां वाला बाग की स्थिति निर्मित होने की नौबत आ गई थी। लेकिन हिंदुस्तानी होने के नाते एक मजिस्ट्रेट ने बात को संभालते हुए युवाओं को गिरफ्तारी देने के लिए कहा। अपनी जमीन अपने आकाश और अपने गांव को गुलामी की जंजीरों से मुक्त करने के लिए चिचोली के 24 जांबाज युवाओं के लिए यह चुनौती बहुत कम थी।
उन्होंने अंग्रेजी पलटन के सामने देश की आजादी के लिए समर्पण किया और नागपुर की सेंट्रल जेल में 13- 13 महीने की वह यातनाएं सही जिनको सुनकर आज भी लोग सिहर जाते हैं। किसी ने अंग्रेजों के कंबल मार्च की यातनाएं झेली, तो किसी ने काल कोठरी में रहकर भारत को आजाद करने के सपने देखे। ऐसे 24 युवाओं में शामिल चिचोली के अमर सेनानियों का आज भी चिचोली नगर के जय स्तंभ चौक, नगर परिषद चिचोली और चिचोली जनपद के पत्थरों पर हमेशा हमेशा के लिए नाम दर्ज है।
आज हम खबर के माध्यम से चिचोली के वे 24 जाबाजों के नाम से आपको अवगत करा रहे हैं जिन्होंने कभी स्वामी श्रद्धानंद के द्वारा स्थापित आर्य समाज के कृण्वंतो विश्वमार्यम के श्लोक को आत्मसात करते हुए आर्यावृत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त करने का बीड़ा उठाया था। उन अमर बलिदानियों में से स्व. श्री चंद्रचूर्ण सिंह पटेल, स्व. श्री लाला रामकिशन भुसारी, स्व: श्री कन्हैया लाल पटेल, स्वर्गीय श्री लालमन आर्य, स्वर्गीय श्री बस्ती राम सोनी, स्वर्गीय श्री शिव किशोर आर्य, स्वगीय श्री रतनलालजी आर्य, स्वर्गीय श्री शिवदीन आर्य, स्वगीय श्री ब्रह्म दत्त आर्य, स्वर्गीय श्री लक्ष्मी नारायण दीक्षित, स्व. श्री नोखेलाल सोनी, स्व: श्री पन्नालाल शर्मा, स्वर्गीय, श्री कुंदन राव चंदेल, स्व: श्री सुखमंगल पटेल, स्व: श्री जुगल किशोर आर्य, स्वर्गीय समरथ सिंह, स्वर्गीय श्री गणेश दत्त आवलेकर, स्वर्गीय श्री किशोरी लाल कटारे, स्वर्गीय श्री सोमदत्त सूरे, स्वर्गीय श्री गोविंद किरार यादव, स्व: श्री गोलमन रामजीवन सेठ, स्वर्गीय श्री कुंजीलाल आर्य, एवं स्वर्गीय श्री जोगी महासिंह जिनके बलिदान और त्याग से चिचोली नगर गौरन्वित है। आज से लगभग 79 वर्ष पूर्व जब चिचोली नगर की कुल आबादी 2000 से भी कम थी। उस समय चिचोली के 24 युवाओं ने अपने देश की आजादी के लिए दखल देकर हमेशा हमेशा के लिए एक इतिहास रच दिया था ।
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