Supreme Court: भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे के निपटान को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के लिए सहमति दी है। जस्टिस बीआर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस मुद्दे पर केंद्र और मध्य प्रदेश सरकार से एक सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
हाई कोर्ट की डेडलाइन खत्म, अब फिर सुनवाई
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 4 दिसंबर को आदेश दिया था कि एक महीने के भीतर कचरे का निपटान किया जाए। लेकिन, सरकार इसे पूरा नहीं कर सकी। इसके बाद 6 जनवरी को हाई कोर्ट ने छह सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था, जो सोमवार को समाप्त हो गया। अब मंगलवार को जबलपुर हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होगी।
स्थानीय विरोध और गैस पीड़ित संगठनों की मांग
पीथमपुर में जहरीले कचरे के जलाने का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं। गैस पीड़ित संगठनों ने इसे अमेरिका भेजने की मांग उठाई है, क्योंकि 2003 में तमिलनाडु के कोडाइकनाल में एक औद्योगिक संयंत्र के रासायनिक कचरे को अमेरिका भेजा गया था। संगठनों का दावा है कि 2015 में यूनियन कार्बाइड का 10 टन कचरा जलाने में 80 हजार लीटर डीजल का उपयोग हुआ था, जिससे गंभीर प्रदूषण का खतरा बढ़ जाता है।
अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं और सरकार कचरे के निपटान के लिए क्या कदम उठाती है।
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