रामलीला मैदान एक बार फिर शपथ ग्रहण समारोह का गवाह बनने जा रहा
Swearing-in: दिल्ली का रामलीला मैदान सिर्फ एक मैदान नहीं, बल्कि इतिहास, राजनीति और आंदोलनों का केंद्र रहा है। यहाँ होने वाले हर आयोजन ने देश की राजनीति और समाज पर गहरा असर डाला है।
🔹 रामलीला मैदान: इतिहास की झलक
🔸 मुगलकाल से अस्तित्व में – यह जगह पहले “बस्ती का तालाब” कहलाती थी।
🔸 औरंगजेब के शासन में कई बार उजड़ा, लेकिन हिंदू सैनिकों ने छुप-छुपकर रामलीला का आयोजन जारी रखा।
🔸 बहादुर शाह जफर के दौर में इसे पहचान मिली, और वह खुद भी इसकी भव्यता के कायल हो गए।
🔸 1850 के आसपास अंग्रेजों ने इसे समतल कर अपनी छावनी बनाई, लेकिन रामलीला का आयोजन रुका नहीं।
🏛️ आजादी के बाद: राजनीति और संघर्ष का केंद्र
✅ महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने यहीं से आजादी की लड़ाई को नई दिशा दी।
✅ 1945 में मोहम्मद अली जिन्ना को यहीं “मौलाना” की उपाधि मिली।
✅ 1965 में पाकिस्तान पर जीत के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने यहीं “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया।
✅ 1975 में जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की, जिससे इंदिरा गांधी को आपातकाल लगाना पड़ा।
✅ 2011 में अन्ना हजारे का जनलोकपाल आंदोलन यहीं से फूटा, जिससे “आम आदमी पार्टी” की नींव पड़ी।
✅ 2013 और 2015 में अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ यहीं ली।
✅ योग गुरु बाबा रामदेव ने काले धन के खिलाफ आंदोलन किया।
✅ 2024 लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी “INDIA गठबंधन” की विशाल रैली भी यहीं हुई।
🔥 बीजेपी की नई रणनीति: रामलीला मैदान में शपथ ग्रहण
27 साल बाद बीजेपी के मुख्यमंत्री यहीं शपथ लेने जा रहे हैं, जो बड़ा राजनीतिक संदेश दे रहा है।
🚩 संघर्ष, परिवर्तन और विकास की प्रतीक बनी इस ऐतिहासिक भूमि को चुनकर बीजेपी जनता से जुड़ने और बदलाव का संदेश दे रही है।
➡️ क्या रामलीला मैदान एक बार फिर बड़े राजनीतिक बदलाव का गवाह बनेगा?
source internet… साभार….
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