ट्रंप का टैरिफ ‘इकोनॉमिक न्यूक्लियर वॉर’ जैसा
Tariff: नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में “लिबरेशन डे” (2 अप्रैल) के अवसर पर आयातित वस्तुओं पर व्यापक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इन टैरिफ्स में सभी आयातों पर 10% का सार्वभौमिक शुल्क शामिल है, जबकि कुछ देशों के लिए यह दरें और भी अधिक हैं। उदाहरण के लिए, चीन से आयातित वस्तुओं पर प्रभावी टैरिफ दर 54% तक पहुंच जाएगी, जो 9 अप्रैल, 2025 से लागू होगी।
इन टैरिफ्स के परिणामस्वरूप वैश्विक बाजारों में भारी उथल-पुथल देखी गई है। लंदन का FTSE 100 सूचकांक 6% गिरकर एक वर्ष के निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि जर्मनी का DAX 10% और फ्रांस का CAC 6.6% नीचे गिरा। एशियाई बाजारों में भी भारी नुकसान हुआ, जापान का निक्केई लगभग 9% गिरा, जिससे दक्षिण कोरिया में ट्रेडिंग रोकनी पड़ी।
बिलियनियर निवेशक बिल एकमैन ने चेतावनी दी है कि यदि इन टैरिफ्स को लागू किया गया तो यह “आर्थिक परमाणु सर्दी” ला सकता है। उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप से इन टैरिफ्स को 90 दिनों के लिए स्थगित करने का आग्रह किया है, ताकि संभावित आर्थिक संकट से बचा जा सके।
इसके बावजूद, राष्ट्रपति ट्रंप अपने निर्णय पर कायम हैं और इन टैरिफ्स को “आवश्यक दवा” के रूप में वर्णित कर रहे हैं। उन्होंने कहा है कि “हमें जीत मिलेगी। मजबूती से डटे रहें, यह आसान नहीं होगा।”
विश्लेषकों का मानना है कि इन टैरिफ्स से वैश्विक व्यापार युद्ध की संभावना बढ़ गई है, जिससे विश्व अर्थव्यवस्था मंदी की ओर जा सकती है। गोल्डमैन सैक्स और मूडीज जैसी वित्तीय संस्थाओं ने मंदी की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। इन घटनाओं के मद्देनजर, निवेशकों और व्यापारिक नेताओं के बीच चिंता बढ़ रही है, और वे इन टैरिफ्स के संभावित प्रभावों पर निकटता से नजर रख रहे हैं।
साभार..
Leave a comment