108 खंभों पर खड़ा होगा संगमरमर का मंदिर
Temple: खंडवा | मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित श्रद्धा का प्रमुख केंद्र श्री धूनीवाले दादाजी का मंदिर अब नया और भव्य रूप लेने जा रहा है। करीब 50 साल पुराने सीमेंट-कंक्रीट से निर्मित इस मंदिर का पुनर्निर्माण अब सफेद संगमरमर से किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में करीब 100 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है। इसे सिंहस्थ 2028 से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
तीन शिखरों और 108 खंभों वाला दिव्य मंदिर
नए मंदिर में कुल 108 खंभे होंगे, लेकिन इनमें से 84 खंभे ही श्रद्धालुओं को दिखाई देंगे। बाकी 24 खंभे मंदिर की आंतरिक दीवारों में समाहित रहेंगे। मंदिर की संरचना को इस तरह डिजाइन किया गया है कि बड़े दादाजी की समाधि बीचों-बीच रहेगी। उनके एक ओर मां नर्मदा का मंदिर और दूसरी ओर छोटे दादाजी का मंदिर होगा। नए मॉडल में मंदिर के तीन शिखर होंगे, जिनमें सबसे ऊंचा शिखर धूनीवाले दादाजी का होगा। निर्माण कार्य के दौरान दोनों समाधियों से किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
तीन प्रवेश द्वार, श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ेगी
अब तक मंदिर में दो प्रवेश द्वार हैं, लेकिन नए मॉडल में तीन भव्य प्रवेश द्वार बनाए जाएंगे। यह बदलाव श्रद्धालुओं की भीड़ और आवाजाही को ध्यान में रखते हुए किया गया है। परंपरानुसार भक्त पहले बड़े दादाजी, फिर छोटे दादाजी के दर्शन कर परिक्रमा पूरी करते हैं, जिसे नए डिज़ाइन में सुगम बनाया गया है।
23 एकड़ में फैले परिसर में होगा समग्र विकास
श्री धूनीवाले दादाजी आश्रम लगभग 23 एकड़ में फैला है। मंदिर के साथ-साथ भक्त निवास, गोशाला, प्रसादालय, हॉल, ट्रस्ट कार्यालय और बागवानी क्षेत्र को भी नए स्वरूप में विकसित किया जाएगा। यह कार्य मंदिर ट्रस्ट द्वारा अलग डेवलपमेंट प्लान के तहत किया जाएगा। मंदिर का निर्माण कार्य विशेष समिति की निगरानी में किया जा रहा है। ट्रस्ट ने बताया कि गुणवत्ता और परंपरा का ध्यान रखते हुए कार्य को अंजाम दिया जाएगा।
15 अगस्त तक डीपीआर होगी तैयार, अक्षरधाम के आर्किटेक्ट बना रहे डिज़ाइन
नए मंदिर का डिज़ाइन अक्षरधाम मंदिर को डिज़ाइन करने वाले आर्किटेक्ट वीरेंद्र त्रिवेदी द्वारा तैयार किया गया है। परियोजना की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) 15 अगस्त 2025 तक तैयार हो जाएगी। सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने जानकारी दी कि फिलहाल अनुमानित लागत 65 करोड़ रुपए है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह राशि 100 करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है।
इतिहास: 1930 में ली थी समाधि, 1970 में बना था पहला मंदिर
धूनीवाले बड़े दादाजी श्री केशवानंद महाराज ने 1930 में समाधि ली थी। उनके शिष्य छोटे दादाजी हरिहर भोलेनाथ ने भवानी माता मंदिर के पास यह भूमि खरीदी और समाधिस्थल विकसित किया।
1970 के दशक में आरसीसी संरचना वाला मौजूदा मंदिर तैयार हुआ, जिसकी देखरेख इंजीनियर एनके श्रीमाली ने की थी। बीते 55 वर्षों में मंदिर की संरचना जर्जर हो चुकी है, इसीलिए अब उसका नवनिर्माण किया जा रहा है।
विशेषताएं संक्षेप में:
- ❖ सफेद संगमरमर से निर्माण
- ❖ 108 खंभे, दिखेंगे 84
- ❖ तीन भव्य प्रवेश द्वार
- ❖ तीन शिखर – मध्य में बड़े दादाजी की समाधि
- ❖ 23 एकड़ में संपूर्ण आश्रम का विकास
- ❖ 15 अगस्त तक डीपीआर, सिंहस्थ 2028 तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
- साभार…
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