दो भाईयों ने हजारों फर्जी खाते खोलर किया करोड़ो का ट्रांजेक्शन
Thugs: भोपाल(ई-न्यूज)। दो शातिर भाईयों ने हजारों फर्जी खाते खोलकर करोड़ों रुपए का ट्रांजेक्शन किया है। दोनों शातिर भाई मध्यप्रदेश के निवासी हैं। एटीएस पूरे मामले की जांच कर रही है जिसमें कई तथ्य भी मिले हैं। पूरा मामला मनी लॉन्ड्रिंग के रूप में सामने आया है। इसमें से एक की गुरुग्राम की होटल की तीसरी मंजिल से गिरने से मौत भी हो गई थी।
अब तक 18 हो चुकी गिरफ्तारियां
एसीपी खरया ने बताया कि इस मामले में अब तक 18 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। पूरे गिरोह में कुशवाहा भाइयों के अलावा मुरादाबाद के 30 वर्षीय ऋषभ त्यागी की भूमिका महत्वपूर्ण थी। वह गुडगांव के सेंटर का काम संभालता था। 18 गिरफ्तारियों के बावजूद गिरोह के दो बड़े नाम अंकित कुशवाह और ऋषभ त्यागी फरार हैं। अमितेश कुंडे की भी तलाश साइबर सेल और आतंक निरोधी दस्ता कर रहा है। जिन्हें गिरफ्तार किया गया है उनमें अनुराग कुशवाहा, पिता रमाकांत कुशवाहा निवासी खैरमाई रोड, सतना, अंजर हुसैन पिता असलम हुसैन निवासी नजीराबाद, सतना, शशांक अग्रवाल पिता दिलीप अग्रवाल निवासी गौशाला चौक, सतना, अमित निगम पिता कृष्ण कुमार निगम निवासी मुख्तयारगंज, सतना, स्नेहिल गर्ग पिता प्रीतम गर्ग निवासी गौशाला चौक, सतना, सगील अख्तर पिता मोहम्मद सरीफ अख्तर निवासी नजीराबाद, सतना, सुमित शिवानी पिता श्रीचंद शिवानी निवासी पंजाबी मोहल्ला, सतना, रितिक श्रीवास पिता सुनील कुमार श्रीवास निवासी मांडवा बस्ती, जबलपुर, अमित कुशवाहा पिता संजय कुशवाहा निवासी मुख्तयारगंज, सतना, संदीप चतुर्वेदी पिता विष्णु चतुर्वेदी निवासी पन्ना नाका सतना, मेंदनीपाल चतुर्वेदी पिता सुदामा प्रसाद चतुर्वेदी निवासी ज्ञानगंगा कॉलोनी, मैहर नितिन कुशवाहा पिता रमेश कुशवाहा निवासी मुख्तयारगंज, सतना, मोहम्मद मासूक उर्फ मसूद पिता मोहम्मद हनीफ निवासी कामता टोला, सतना, चंचल विश्वकर्मा पिता राम विश्वास विश्वकर्मा निवासी टिकुरिया टोला, सतना, नीरज यादव पिता सदन यादव निवासी कराई, पटना, बिहार, रामनाथ कुमार पिता सुनेन्द्र सिंह निवासी सहरसा, बिहार, गोविंद कुमार पिता नंद किशोर सिंह निवासी सहरसा, बिहार, साजिद खान पिता जाहिद खान निवासी नजीराबाद, सतना शामिल है।
3 हजार करोड़ का किया ट्रांजेक्शन
अब तक की जांच में इनके खुलवाए फर्जी खातों से 3 हजार करोड़ रुपए से अधिक के ट्रांजेक्शन का पता चला है। इससे न केवल साइबर ठगी के रुपए गायब किए गए, बल्कि इन रुपयों का उपयोग मौज-मस्ती से लेकर अलग-अलग अपराधों में किया गया। एमपी एटीएस और स्टेट साइबर सेल पिछले तीन महीनों से अधिक समय से फर्जी खाते खोलने, साइबर फ्रॉड के रुपयों को घुमाने और हवाला करने वाले गिरोह की गतिविधियों को ट्रेस कर रही थी।
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