Toxic waste: भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से निकले 337 टन जहरीले कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसे धार जिले के पीथमपुर स्थित संयंत्र में जलाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार किया
- सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की याचिका दायर की थी।
- गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
- कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।
- सरकार ने जवाब दिया कि सभी पर्यावरणीय और सुरक्षा नियमों का पालन किया जाएगा।
याचिकाकर्ता की आपत्तियां
- आसपास के गांवों के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए।
- 250 मीटर की दूरी पर एक गांव और 1 किमी के दायरे में तीन अन्य गांव हैं।
- आपदा प्रबंधन की कोई पुख्ता योजना नहीं है।
- पीथमपुर में पर्याप्त चिकित्सा सुविधाएं नहीं हैं, जिससे किसी दुर्घटना की स्थिति में खतरा बढ़ सकता है।
सरकार ने सुरक्षा को लेकर दिया भरोसा
- सरकार ने तीन ट्रायल रन के जरिए कचरे के निस्तारण की योजना बनाई है।
- गुरुवार सुबह 10 मीट्रिक टन कचरा जलाने की प्रक्रिया शुरू होनी थी।
- हाई कोर्ट के आदेश के तहत ही यह निस्तारण किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का विरोध
- जनवरी 2025 में भोपाल से पीथमपुर लाया गया कचरा तब से विवाद का कारण बना हुआ है।
- स्थानीय लोगों को डर है कि कचरा जलाने से जहरीले तत्व हवा में मिल सकते हैं।
- कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सही तकनीक का पालन न किया गया, तो यह पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी खतरा बरकरार
1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का जहरीला कचरा एक बड़ी समस्या बना हुआ था। इसे जलाने का निर्णय हाई कोर्ट ने दिया, लेकिन सुरक्षा को लेकर सवाल अब भी बने हुए हैं।
source internet… साभार….
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