जानिए इसके पीछे का धार्मिक, वास्तु और आध्यात्मिक रहस्य!
Triangular: भारत में मंदिर सिर्फ पूजा का स्थान नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और ऊर्जा केंद्र भी होते हैं। आपने देखा होगा कि ज़्यादातर मंदिरों के शिखर (छत) पर एक झंडा लहराता है – और वह हमेशा त्रिभुजाकार होता है। क्या कभी आपके मन में ये सवाल आया कि ऐसा क्यों?
आइए जानते हैं इसके पीछे की गहरी वजहें
त्रिभुज – शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक
- हिंदू धर्म में त्रिभुज का आकार आध्यात्मिक ऊर्जा, शक्ति, और दिव्यता का प्रतीक माना गया है।
- योग, तंत्र, और साधना पद्धतियों में त्रिकोण का बहुत गहरा स्थान है – यह ऊर्जा के संचय और संतुलन का सूचक है।
वास्तु शास्त्र में त्रिकोण का महत्व
- वास्तु के अनुसार, त्रिभुज आकार सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और नकारात्मकता को दूर करता है।
- जब यह झंडा मंदिर के ऊपर लहराता है, तो वह मंदिर के भीतर की ऊर्जा को संतुलित बनाए रखता है।
शक्ति और विजय का प्रतीक
- त्रिकोण को देवी शक्ति और भगवान की विजय का प्रतीक माना जाता है।
- यह दर्शाता है कि मंदिर का स्थान दिव्य शक्ति से परिपूर्ण है और यहां ईश्वर की कृपा बनी हुई है।
श्रद्धा और धार्मिकता का संकेत
- मंदिर का झंडा केवल एक निशान नहीं, बल्कि एक आस्था का प्रतीक है।
- यह दर्शाता है कि यह स्थान पवित्र, शुद्ध और आध्यात्मिक ऊर्जा से युक्त है, जहाँ श्रद्धालु शांति और शक्ति प्राप्त कर सकते हैं।
तो अगली बार जब आप किसी मंदिर जाएं…
…तो उसके शिखर पर लहराते त्रिभुजाकार झंडे को नमन करें – क्योंकि वो सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, श्रद्धा, विजय और शुभता का प्रतीक है।
साभार…
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