Tunnel: नई दिल्ली/रुद्रप्रयाग | चारधाम यात्रा के सबसे कठिन और संवेदनशील रूट केदारनाथ तक अब यात्रा और भी आसान और सुरक्षित हो सकती है। केंद्र सरकार की महत्त्वाकांक्षी योजना के तहत केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय उत्तराखंड में 7 किलोमीटर लंबी एक सुरंग (टनल) बनाने की तैयारी में है। यह सुरंग कालीमठ घाटी के चौमासी गांव से लिंचोली तक बनाई जाएगी।
टनल बनने के बाद तीर्थयात्रियों को अब गौरीकुंड से 16 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई नहीं करनी पड़ेगी। इस सुरंग के जरिए सीधा पहुंच मार्ग तैयार होगा, जिससे केदारनाथ मंदिर तक केवल 5 किलोमीटर का पैदल सफर ही बचेगा।
🛤️ टनल के जरिए नया सुरक्षित रूट
वर्तमान में केदारनाथ यात्रा गौरीकुंड से रामबाड़ा, लिंचोली होते हुए मंदिर तक जाती है। यह 16 किलोमीटर लंबा दुर्गम रास्ता बारिश, भूस्खलन और मौसम की मार से बार-बार बाधित होता है। लेकिन नए मार्ग में ऐसा नहीं होगा।
सुरंग चौमासी से शुरू होकर लिंचोली तक जाएगी। चौमासी तक सड़क पहले से बनी हुई है। वहां से यात्री कार से पहुंच सकेंगे और फिर सुरंग के जरिए सीधे लिंचोली जाएंगे। वहां से मंदिर तक का पैदल रास्ता मात्र 5 किलोमीटर होगा।
🧭 भूस्खलन से मुक्त रास्ता
राष्ट्रीय राजमार्ग उत्तराखंड के मुख्य अभियंता मुकेश परमार ने बताया कि विशेषज्ञ कंसल्टेंट ने मार्ग का तकनीकी सर्वेक्षण और टनल की ड्राइंग तैयार कर ली है। इस मार्ग पर कोई भी लैंडस्लाइड ज़ोन नहीं पाया गया है। कठोर चट्टानों और बुग्यालों से होकर निकलने वाली यह सुरंग वर्ष भर उपयोगी और आपदा से सुरक्षित मानी जा रही है।
⛔ रामबाड़ा रूट हुआ असुरक्षित
2013 की त्रासदी के बाद से ही केदारनाथ यात्रा के पुराने रास्ते को लेकर चिंता रही है। 2024 में भी भारी बारिश और भूस्खलन के चलते हजारों यात्री फंसे थे और जनहानि भी हुई थी। रामबाड़ा क्षेत्र को लैंडस्लाइड-प्रोन घोषित किया गया है, इसलिए अब सुरंग निर्माण के लिए चौमासी-लिंचोली मार्ग को प्राथमिकता दी गई है।
🏗️ 4-5 साल में पूरा हो सकता है निर्माण
केंद्रीय मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार यदि योजना को इस साल स्वीकृति मिल जाती है, तो अगले 4 से 5 सालों में यह टनल बनकर तैयार हो सकती है। इससे केदारनाथ यात्रा को वर्षभर सुगम, सुरक्षित और अधिक सुलभ बनाया जा सकेगा।
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