ललितप्रभ सागर व डॉ.मुनि शांतिप्रिय की आज हुई आगवानी
बैतूल – Lalit Prabh ji – संबोधी धाम जोधपुर के प्रेरणा स्रोत, राष्ट्रसंत, विश्व प्रसिद्ध प्रवचनकार, परम पूज्य गुरुदेव महोपाध्याय ललितप्रभ सागर व डॉ.मुनि शांतिप्रिय म.सा. का बुधवार 14 दिसंबर को बैतूल में आगमन हुआ। मुनिश्री मुलताई से होते हुए सुबह 7 बजे बैतूल पहुंचे। श्रावक सतीश पारख ने बताया कि मुनिश्री के पुण्य प्रताप से हजारों युवक-युवतियों ने व्यसन सहित मांस मदिरा का त्याग का संकल्प लिया है। मुनिश्री महावीर मिष्ठान सदर होते हुए पुलिस ग्राउंड के समीप स्थित कीर्ति स्तंभ पहुंचेे। जहां पर जैन श्रावक श्राविका उपस्थित थे। म.सा. की अगवानी श्वेतांबर जैन समाज के ट्रस्टी एवं बैतूल विधायक निलय डागा, स्थानकवासी श्रावक संघ के सचिव मुकेश गोठी कोठीबाजार दिगंबर मंदिर के अध्यक्ष ज्ञानेंद्र कुमार जैन, पार्श्वनाथ जैन मंदिर गंज के अध्यक्ष कमलेश मेहता, शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष दिलीप जैन व अन्य पदाधिकारियों ने म.सा. की अगवानी की। म.सा. लल्ली चौक होते हुए इंदरकरण मरोठी के कोठी बाजार स्थित निवास पर पहुंचे जहां उनकी नवकारसी हुई। साथ ही सभी श्रावक श्राविका की भी नवकारसी हुई। इसके बाद यह विशाल वरघोड़ा कोठी बाजार में कोतवाली मार्ग से होता हुआ जैन दादावाड़ी पहुंचा। वहां पर सुबह 9:15 बजे से म.सा. का मधुर व्याख्यान हुए। इस अवसर पर म.सा. जीवन जीने के गुर सिखाए। उन्होंने संदेश दिया है कि शरीर में जब तक आत्मा है सब संभव है नहीं तो जीवन ही व्यर्थ है।
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प्रात: मुस्कुरा कर उठें तो पूरे दिन रहेंगे चार्ज: ललितप्रभ(Lalit Prabh ji )
श्रावक प्रशांत मरोठी ने बताया मंगलवार को पंखा में आयोजित प्रवचन में राष्ट्र-संत ललितप्रभ महाराज ने कहा कि हर सुबह की शुरुआत मुस्कुराते हुए करें। अगर हम मुर्दे मन के साथ सुबह की शुरुआत करेंगे तो पूरा दिन बेकार चला जाएगा। हम सुबह उठकर यह तो देखते हैं कि मोबाइल चार्ज है या नहीं, पर यह नहीं देखते कि जिंदगी चार्ज है या नहीं। जिंदगी में उतार-चढ़ाव आना पार्ट ऑफ लाइफ है, पर उसका मुस्कुराते हुए स्वागत करना ही आर्ट ऑफ लाइफ है। आखिर, दूध फटने पर वे ही लोग उदास होते हैं जिन्हें रसगुल्ले बनाने नहीं आते हैं। उदास लोगों पर व्यंग करते हुए संतप्रवर ने कहा कि अगर गधा मुस्कुराता हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए कि वह इंसान बनने वाला है, पर अगर इंसान मुरझाया हुआ दिखे तो समझ लेना चाहिए कि…?
जिंदगी की कीमत क्या है यह सिकंदर से जानिए(Lalit Prabh ji )
संत प्रवर पंखा के केफे हाउस में आयोजित प्रवचन के दौरान श्रद्धालु भाई बहनों को संबोधित कर रहे थे। संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी की कीमत क्या है यह सम्राट सिकंदर से पूछिए जो अपने अंतिम समय में 1 घंटे की जिंदगी पाने के लिए पूरा साम्राज्य देने को तैयार हो गया था। हम पैसे से बहुत कुछ प्राप्त कर सकते हैं, पर सब कुछ नहीं। संतप्रवर ने आध्यात्मिक प्रेरणा देते हुए कहा केवल उस शरीर को मत सजाओ जिसे एक दिन मिट्टी में मिल जाना है वरन उस आत्मा को सजाओ जिसे एक दिन परमात्मा के पास जाना है।
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संयमित खाएं और रहे शालीन(Lalit Prabh ji )
पर्सनलिटी डेवलपमेंट के लिए हम स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें। कहीं ऐसा न हो कि पहले पैसा पाने के लिए स्वास्थ्य को दाँव पर लगाएँ, फिर स्वास्थ्य को पाने के लिए पैसे को दाँव पर लगाना पड़े। हम संयमित खाएँ, औरों को खिलाकर खाएँ, पहनावा शालीन रखें, कार्य के प्रति ईमानदार रहें, किसी से स्वार्थ का रिश्ता न जोड़ें, दिन में एक बार घर के सभी सदस्य साथ में भोजन करें, जरूरतमंद के काम आएँ और समय पर घर पहुँचें ताकि पत्नी ठंडी और भोजन गर्म मिल सके अन्यथा पत्नी का मिज़ाज गर्म और भोजन ठंडा मिलेगा। इससे पूर्व राष्ट्र संतों के पंखा पहुंचने पर सकल जैन समाज के भाई बहनों द्वारा धूमधाम से स्वागत किया गया। प्रवचन कार्यक्रम में मुलताई और बेतूल शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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