Relief: भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने कारखाना अधिनियम 1948 के अंतर्गत आने वाले उद्योगों के लिए फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता में राहत देने का निर्णय लिया है। यह कदम उद्योगपतियों की मांग को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिससे राज्य में उद्योगों के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
फायर सेफ्टी नियमों में बदलाव:
- फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र के लिए उद्योगों को अलग से नगर निकायों से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
- कारखाना अधिनियम 1948 और कारखाना नियम 1962 के तहत पहले से निर्धारित प्रावधानों को ही मान्य माना जाएगा।
नगरीय निकायों के निर्देश:
- नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नेशनल बिल्डिंग कोड के अनुसार फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र अनिवार्य किया था।
- इसमें 15 मीटर से ऊंचे भवन, 500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवन, होटल और अस्पतालों को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेना जरूरी था।
उद्योगों की परेशानी और सुझाव:
- उद्योगों को अलग से प्रमाण पत्र लेने में दिक्कतें हो रही थीं।
- विभिन्न रीजनल इन्वेस्टर्स समिट में उद्योगपतियों ने इस विषय पर सुझाव दिए थे।
- सरकार ने इन सुझावों को व्यावहारिक मानते हुए नियमों में बदलाव की तैयारी शुरू की।
संशोधन की प्रमुख बातें:
- छूट का दायरा:
- कारखाना अधिनियम और कारखाना नियम के तहत आने वाले उद्योगों को फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
- इन उद्योगों में पहले से फायर सेफ्टी के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित किया जाता है।
- संबंधित प्राधिकरण:
- फायर सेफ्टी का पालन संचालक औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा देखा जाएगा।
- एक बार प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसे दोहराने की जरूरत नहीं होगी।
प्रदेश में उद्योग वर्ष 2025:
मध्य प्रदेश सरकार वर्ष 2025 को उद्योग वर्ष के रूप में मना रही है। इस अवसर पर उद्योगपतियों को प्रोत्साहन देने और नियमों को सरल बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
फायर सेफ्टी प्रमाण पत्र के लिए अलग से अनुमति की अनिवार्यता समाप्त करना उद्योगों के लिए राहत का बड़ा कदम है। यह बदलाव न केवल उद्योगों के लिए सुगमता लाएगा, बल्कि प्रदेश में निवेश और औद्योगिक विकास को भी प्रोत्साहित करेगा।
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