Ropeway construction: मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग और जैन धर्म का प्रमुख तीर्थस्थल सिद्धवरकूट अब रोपवे के जरिए जुड़ने जा रहे हैं। यह परियोजना क्षेत्रीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए सुविधाजनक साबित होगी। लोक निर्माण विभाग के सेतु निगम ने इस रोपवे के लिए 38 करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा है।
रोपवे परियोजना की विशेषताएं:
- ओंकारेश्वर-सिद्धवरकूट कनेक्टिविटी:
- दोनों धार्मिक स्थलों के बीच वर्तमान दूरी 35 किमी है।
- रोपवे बनने के बाद यह यात्रा सिर्फ 2 किमी में पूरी की जा सकेगी।
- नर्मदा-कावेरी नदी पर पुल नहीं होने की वजह से श्रद्धालुओं को नाव या लंबा रास्ता अपनाना पड़ता था।
- सैलानी टापू से जुड़ाव:
- रोपवे का एक हिस्सा सैलानी टापू तक भी जाएगा।
- सिंहस्थ और धार्मिक आयोजनों में सहायक:
- सिंहस्थ के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित करने में यह परियोजना मददगार होगी।
परियोजना की प्रगति और घोषणा:
- केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस रोपवे की घोषणा दो साल पहले पर्वतमाला परियोजना के तहत की थी।
- प्रशासकीय स्वीकृति मिलने का इंतजार है।
- उज्जैन सहित प्रदेश के 17 धार्मिक पर्यटन स्थलों पर रोपवे निर्माण की योजना है।
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की समस्याएं:
- लंबा सफर और पुल का अभाव:
- पुल न होने से लोगों को 35 किमी का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है।
- नर्मदा बांध के निर्माण के समय पुल का प्रस्ताव आया था, लेकिन अब तक इस पर काम नहीं हुआ।
- नाव का सहारा:
- स्थानीय ग्रामीण, विद्यार्थी, और श्रद्धालु नदी पार करने के लिए नाव का उपयोग करते हैं।
- बारिश के दौरान यह यात्रा जोखिम भरी हो जाती है।
सिद्धवरकूट: जैन धर्म का प्रमुख तीर्थ
- देशभर से जैन धर्मावलंबी नर्मदा स्नान और सिद्धवरकूट के दर्शन के लिए आते हैं।
- वर्तमान में ओंकारेश्वर बांध के रास्ते से जाने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत होती है।
- पुल या रोपवे के अभाव में लोग मोरटक्का और बड़वाह से घूमकर यात्रा करते हैं।
रोपवे निर्माण के लाभ:
- पर्यटन को बढ़ावा:
- धार्मिक स्थलों की बेहतर कनेक्टिविटी से श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होगा।
- समय और लागत की बचत:
- 35 किमी की दूरी मात्र 2 किमी में पूरी होगी।
- स्थानीय सुविधाओं में सुधार:
- ग्रामीणों और विद्यार्थियों को आवाजाही में सुविधा होगी।
- सुरक्षित यात्रा:
- नाव की तुलना में यह विकल्प सुरक्षित होगा, खासतौर पर बारिश के मौसम में।
ओंकारेश्वर और सिद्धवरकूट को जोड़ने वाली यह रोपवे परियोजना श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगी। यह न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देगी बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए आवाजाही में सहूलियत और आर्थिक विकास के अवसर भी लाएगी।
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