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Betul news: भूख और बीमारी से गौवंश ने तोड़ दिया दम

भूख और बीमारी से

गौशाला में ना चारा था ना कोई मिला जिम्मेदार

Betul news: भीमपुर। ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत चीखली में स्थित गौशाले में जिम्मेदारों की लापरवाही व उदासीनता के चलते संसाधन के अभाव में गौवंश आये दिन दम तोड़ रहे है और सिस्टम के जिम्मेदार ग्राम पंचायत महज कागजी खानापूर्ति करके गौशाले की देख रेख का हवाला देते हैं।सनातन धर्म में जिन गोवंशों की पूजा की जाती हैं और उन्हें गाय माता का दर्जा दिया जाता है उन्हीं गौवंशो की बदतर दशा को देखकर आंखों में आंसू आ जाते है।


भूख से तड़पकर गौवंश का निकल रहा दम


धार्मिक संगठन का भी इस और ध्यान आकर्षित होना चाहिए ताकि गौशाला में जिम्मेदारों की लापरवाही का पता हो सके। ग्राम पंचायत चीखली की गौशाला में बैतूलवाणी ने वास्तविक स्थिति को देखा गोवंशों की देखरेख व रखरखाव के लिए आबंटित होने वाले धन का कोई पता नहीं गौशाला में स्थित कमल पिता प्यारे ने बताया कि उनके द्वारा ही गौशाला की देखरेख और गायों को चारा पानी देने का कार्य करते है। उन्होंने बताया कि यहां पर गौवंश को खाने के लिए चारा भूसा पानी इत्यादि समय पर नहीं मिलने के कारण गाय बीमार हो रही और गाय की भूख से मृत्यु हो रही है।


कोई नहीं ले रहा जिम्मेदारी


उन्होंने बताया कि मैं 3 सालों से गौशाला में कार्य कर रहा हूं। ग्राम पंचायत मुझे मात्र 5000 रू का भुगतान अभी तक किया है। गौशाला की साइड में मेरा खेत है। मंै मानवता पूर्वक गौशाला में नि:शुल्क पानी चारा करता हैं कोई कहता है ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी है कोई कहता है। समूह की जिम्मेदारी है। यह तस्वीरे चिखली की गौशाला की है जहां गौवंशो को रखने का मानक से भी कम है फिर भी व्यवस्था बदहाल है जिसके चलते हालात ऐसे हैं कि उनके खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा भूसा की कोई व्यवस्था नहीं दिखी ना देखरेख जिसके कारण पर्याप्त संसाधन के अभाव में गौवंश दम तोड़ रही है।


अधिकारी पहुंचे आज चिखली गौशाला


इस मामले में ग्राम पंचायत सरपंच ने बताया की आज ही एक ट्रॉली चारा गायों के भेजा गया है। गौवंश का इलाज के लिए कल से डॉक्टर आ रहे हैं। आज भीमपुर तहसीलदार भी आए थे। उन्होंने भी जांच की है और देखा है पूरी जानकारी लेकर गए हैं।


मृत गौवंश की दुर्गन्ध से मिली मुक्ति


स्कूल के शिक्षक दीपांशु चंदेलकर ने बताया कि मुख्यकार्यपालन अधिकारी को सूचना दी गई थी कि स्कूल के आसपास मृत गायों को फेंक दिया गया है इससे स्कूल के बच्चे को बहुत दुर्गंध आ रही थी। आज आनन फानन में मृत्यु हुई गाय को स्कूल के आसपास से उठाकर दूर दफनाया गया जहां पर दुर्गंध से अब स्कूल के बच्चों को राहत मिली है।


अव्यवस्था से हो रही गायों की मौत


गौशालाओं में गायों की मृत्यु की घटनाएं एक गंभीर मुद्दा है, जो न केवल पशु कल्याण और संगठनों पर प्रश्न चिन्ह लगाती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि सरकारी और गैर सरकारी संगठनों की भूमिका कितनी प्रभावशील है। गौशालाओं का मूल उद्देश्य गायों को सुरक्षा और देखभाल करना होना चाहिए, लेकिन चिखली गौशाला पर यह व्यवस्था मात्र दिखावा बनकर रह गई है। इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि गौशालाओं में गायों की देखभाल और सुरक्षा के लिए अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों को भी मिलकर काम करना चाहिए और गौशालाओं की सही देखरेख करना चाहिए।

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