Election: नई दिल्ली(ई-न्यूज)। आज दोषी जनप्रतिनिधियों के चुनाव लडऩे पर हमेशा के लिए बैन लगने को लेकर एक मामले में देश के सर्वोच्च न्यायालय सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। न्यायालय ने इस संबंध में 21 दिन में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है। और यह भी कहा है कि यदि तय समय में केंद्र सरकार और चुनाव आयोग जवाब नहीं भी देते हैं तो सुप्रीम कोर्ट मामले को आगे बढ़ाएगी। कोर्ट ने अगली सुनवाई 4 मार्च की निर्धारित की है।
अस्थायी प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं
कोर्ट ने कहा कि दोषी नेताओं पर केवल छह साल तक चुनाव लडऩे पर प्रतिबंध लगाने का कोई औचित्य नहीं है। जस्टिस मनमोहन और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि अगर किसी सरकारी कर्मचारी को दोषी ठहराया जाता है तो वह जीवन भर के लिए सेवा से बाहर हो जाता है। फिर दोषी व्यक्ति संसद में कैसे लौट सकता है? कानून तोडऩे वाले कानून बनाने का काम कैसे कर सकते हैं?
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं पर प्रतिबंध की मांग
कोर्ट को सुझाव दिया कि क्या चुनाव आयोग ऐसा नियम नहीं बना सकता कि राजनीतिक पार्टियां गंभीर अपराध मे सजा पाए लोगों को पार्टी पदाधिकारी नहीं नियुक्त कर सकतीं। कोर्ट बोला- जनप्रतिनिधित्व कानून के कुछ हिस्सों की जांच करेंगे कोर्ट ने कहा कि हम जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 और 9 के कुछ हिस्सों की जांच करेंगे। कोर्ट भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई की। याचिका में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को राजनीति मे भाग लेने पर प्रतिबंधित लगाने की मांग की गई है।
पूर्व में भी लगी है ऐसी जनहित याचिका
देश के प्रसिद्ध वकील और अनेक महत्वपूर्ण मामलों में याचिका दायर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने 2016 में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 और 9 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि राजनीतिक दलों को यह बताना चाहिए कि वे स्वच्छ छवि वाले लोगों को क्यों नहीं ढूंढ पा रही है। उन्होंने कहा- दलील ये दी जाती है कि आरोपी एक सामाजिक कार्यकर्ता है जिसके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए गए हैं। फिलहाल आपराधिक मामलों में 2 साल या उससे अधिक की सजा होने पर सजा की अवधि पूरी होने के 6 साल बाद तक चुनाव लडऩे पर ही रोक है। उपाध्याय की ओर से सीनियर एडवोकेट विकास सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने दोषी राजनेताओं पर आजीवन प्रतिबंध लगाने और अलग-अलग अदालतों में उनके खिलाफ लंबित मुकदमों को तेजी से निपटाने की मांग की। साभार…
Leave a comment