दिसंबर 2025 से मार्च 2026 के बीच संचालन करेंगे शुरू
Bio CNG: रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर बायो-सीएनजी (कंप्रेस्ड बायोगैस) संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। राज्य के भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सतना, और बालाघाट जिलों में पांच संयंत्रों का निर्माण तेजी से चल रहा है, जो दिसंबर 2025 से मार्च 2026 के बीच संचालन शुरू करेंगे। प्रत्येक संयंत्र में लगभग 120 से 150 लोगों को रोजगार मिलेगा।
बायो-सीएनजी उत्पादन के लिए फसलों के अवशेष, गोबर, खाद्य अपशिष्ट, और सीवेज जैसे जैविक कचरे का उपयोग किया जाता है। रिलायंस इन संयंत्रों के लिए धान की पराली, सोयाबीन अवशेष, नेपियर घास, औद्योगिक कचरे, शहरी ठोस कचरे, और गोबर का उपयोग करेगा। बायोगैस से अशुद्धियाँ हटाकर, इसे उच्च दबाव में संपीड़ित करके बायो-सीएनजी प्राप्त की जाती है, जिसका उपयोग वाहनों और रसोई गैस के रूप में किया जा सकता है।
मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में बायो-फ्यूल पॉलिसी–2025 को मंजूरी दी है, जिसमें बायो-फ्यूल इकाइयों की स्थापना पर विभिन्न रियायतें प्रदान की गई हैं। इस नीति के तहत, रिलायंस ने राज्य में अपने संयंत्रों के विस्तार की योजना बनाई है। कंपनी अगले पांच वर्षों में बायो-फ्यूल क्षेत्र में बड़े निवेश की तैयारी कर रही है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष, मुकेश अंबानी, ने अगस्त 2024 में आयोजित वार्षिक आम बैठक में घोषणा की थी कि कंपनी पांच वर्षों में 100 सीबीजी संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रही है। इस दिशा में, उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में पहला वाणिज्यिक सीबीजी संयंत्र पहले ही चालू हो चुका है। मध्यप्रदेश में स्थापित होने वाले संयंत्रों की क्षमता प्रतिदिन 20 टन सीएनजी उत्पादन की होगी, जिसके लिए 7 से 10 गुना कच्चे माल की आवश्यकता होगी। गैस उत्पादन के बाद बचा हुआ सामग्री जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जाएगा, जिससे बंजर भूमि की उर्वरता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
रिलायंस ग्रुप ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर, सतना, और बालाघाट जिलों में संयंत्र स्थापना के लिए 15 से 20 एकड़ भूमि अधिग्रहित की है। कंपनी किसानों से फसल अवशेष, जैसे नरवाई, गेहूं, चना, राई का भूसा, धान के सूखे पौधे, और सूखी घास, की खरीद करेगी। इसके अलावा, बंजर भूमि पर नेपियर घास की खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा, जिसका उपयोग बायोमास के रूप में किया जाएगा। इन प्रयासों से न केवल राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। साथ ही, जैविक कचरे के उपयोग से पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
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