Negligence: यह मामला गंभीर चिकित्सा लापरवाही और अस्पताल प्रशासन की अनैतिक प्रथाओं की ओर इशारा करता है।
मुख्य बिंदु:
- गलत जानकारी और अधिक पैसे वसूलने का आरोप – मरीज के स्वजन का दावा है कि अस्पताल ने झूठ बोला कि बंटी कोमा में हैं, जबकि वह होश में थे और चिल्ला रहे थे।
- अनावश्यक पैसे मांगने का आरोप – पहले 20,000 रुपये जमा कराए गए, फिर एक लाख रुपये और मांगे गए, जबकि असल खर्च 6,920 रुपये ही था।
- अभद्र व्यवहार और गाली-गलौज – मरीज और उनके परिवार को परेशान किया गया और सही जानकारी नहीं दी गई।
- जांच समिति का गठन – कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्यीय जांच दल बनाया गया, जिसने अस्पताल स्टाफ और परिवार के बयान दर्ज किए।
अगर अस्पताल दोषी पाया जाता है, तो कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में मरीजों और उनके परिवारों को इस तरह की समस्याओं का सामना न करना पड़े। क्या आप इस मामले से जुड़े किसी और पहलू पर चर्चा करना चाहेंगे?
source internet… साभार….
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