Bill: नई दिल्ली: सरकार का तर्क है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों को पारदर्शी और कानूनी दायरे में लाने के लिए आवश्यक है, जबकि विपक्ष और AIMPLB इसे भेदभावपूर्ण और संविधान के मूल ढांचे पर आक्रमण बता रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
- सरकार का पक्ष (किरेन रिजिजू, रविशंकर प्रसाद)
- 2014 में कांग्रेस सरकार द्वारा 123 प्राइम प्रॉपर्टी दिल्ली वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर करना चुनावी राजनीति थी।
- अगर यह बिल नहीं लाया जाता, तो और भी संपत्तियों पर वक्फ का दावा हो सकता था।
- वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए यह संशोधन जरूरी है।
- मुतवल्ली (वक्फ प्रॉपर्टी के प्रबंधक) को मालिक नहीं माना जाना चाहिए।
- वक्फ प्रॉपर्टी से पिछड़े मुसलमानों को भी लाभ मिलना चाहिए।
- विपक्ष का पक्ष (गौरव गोगोई, कांग्रेस)
- सरकार का दावा गलत और भ्रामक है।
- यह बिल संविधान के मूल ढांचे पर हमला है।
- राज्य सरकारों की शक्तियां कम करने की कोशिश की जा रही है।
- वक्फ संपत्तियों को लेकर देशभर में कानूनी विवाद बढ़ सकते हैं।
- AIMPLB की प्रतिक्रिया
- अगर बिल पास हुआ, तो देशव्यापी आंदोलन किया जाएगा।
- यह भेदभावपूर्ण और सांप्रदायिक रूप से प्रेरित है।
- कानूनी और संवैधानिक तरीकों से इस बिल का विरोध किया जाएगा।
यह बिल एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है, जहां सरकार इसे सुधार का कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और मुस्लिम संगठनों को इसमें भेदभाव की आशंका है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में आगे क्या निर्णय लिया जाता है।
साभार…
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