जॉइंट स्टेटमेंट पर साइन करने से इनकार
Tough Stance: किंगदाओ (चीन)/नई दिल्ली: चीन के किंगदाओ में गुरुवार को हुई शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाते हुए जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। भारत की आपत्ति का कारण यह था कि स्टेटमेंट में पहुलगाम आतंकी हमले का उल्लेख नहीं किया गया, जबकि इसमें बलूचिस्तान की घटना को शामिल किया गया था। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति पर अडिग है और डबल स्टैंडर्ड स्वीकार नहीं करेगा।
❝ “आतंकवाद के एपिसेंटर अब सेफ नहीं रहेंगे” – राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने SCO मंच पर पाकिस्तान का नाम लिए बिना निशाना साधा और कहा:
“कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति मानते हैं, आतंकवादियों को पनाह देते हैं और फिर इनकार करते हैं। ऐसे दोहरे रवैये के लिए अब कोई जगह नहीं है। अब आतंकवाद के एपिसेंटर सुरक्षित नहीं हैं। भारत अपने आत्मरक्षा के अधिकार का प्रयोग करते हुए 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दे चुका है।”
📌 राजनाथ सिंह के भाषण के 4 अहम बिंदु
- उग्रवाद और आतंकवाद सबसे बड़ी चुनौती
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में शांति और विश्वास की कमी के पीछे कट्टरपंथ और आतंकवाद ही सबसे बड़ी बाधा हैं। इनसे निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई जरूरी है। - आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति
भारत आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरतता। हमने दिखाया है कि हम आतंकवाद के स्रोत को खत्म करने से पीछे नहीं हटेंगे। - संवाद ही संघर्षों का समाधान है
भारत ने सभी देशों से आपसी संवाद को प्राथमिकता देने की अपील की। उन्होंने कहा, “कोई भी देश अकेले नहीं लड़ सकता। साथ मिलकर ही चुनौतियों से निपटा जा सकता है।” - वैश्विक चुनौतियों के लिए साझा प्रयास जरूरी
कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों ने यह साबित कर दिया है कि जब तक हर कोई सुरक्षित नहीं है, तब तक कोई भी सुरक्षित नहीं रह सकता।
🤝 पाकिस्तान के रक्षा मंत्री से मुलाकात नहीं
बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे, लेकिन राजनाथ सिंह ने उनसे कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं की। यह भी भारत के कड़े रुख का संकेत माना जा रहा है।
🌐 क्या है SCO?
- स्थापना: 2001
- स्थापक देश: चीन, रूस, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान
- बाद में सदस्य बने: भारत और पाकिस्तान (2017), ईरान (2023)
- मुख्य उद्देश्य: क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोध, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता
- प्रमुख एजेंडा: आतंकवाद, उग्रवाद, साइबर क्राइम, ड्रग तस्करी आदि पर साझा नीति बनाना
🔎 विश्लेषण: भारत का बढ़ता आत्मविश्वास
भारत का जॉइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर से इनकार करना न केवल आतंकवाद के खिलाफ उसके मजबूत स्टैंड को दर्शाता है, बल्कि यह भी स्पष्ट करता है कि भारत अब किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने हितों और सिद्धांतों से समझौता नहीं करेगा।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रुख वैश्विक मंचों पर भारत की डिप्लोमैटिक संप्रभुता और आत्मनिर्भर नीति का संकेत है।
साभार…
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