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Political Review:पिता-पुत्र ने बनाया राजनैतिक रिकार्ड

पिता-पुत्र ने बनाया राजनैतिक

दिग्विजयी पिता और संगठन के सिरमौर बने पुत्र

Political Review:बैतूल। आजादी के बाद इन 77 वर्षों में जिले की राजनीति कांग्रेस एवं भारतीय जनता पार्टी (पूर्व में जनसंघ) के मध्य घूमती रही है। 1947 से 1972 तक लोकसभा और विधानसभा के हर चुनाव में कांग्रेस का बोलबाला रहा है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बदलते गई और पिछले कुछ वर्षों में जिले में कांग्रेस लगभग हर संस्था के चुनाव में हाशिए पर दिखाई दे रही है। वहीं शनै:-शनै: भाजपा मजबूत होते गई और आज जिले की हर संस्था पर लगभग भाजपा का कब्जा है। वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा ने जिले की चुनावी एवं संगठनात्मक राजनीति में कई ऐसे रिकार्ड बना लिए हैं जिनको तोडऩा हाल फिलहाल कांग्रेस के लिए मुश्किल दिखाई दे रहा है। लगातार 9 लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की लगातार जीत एवं प्रदेश संगठन में प्रदेशाध्यक्ष जैसा पद प्राप्त करना जिले में कांग्रेस के किसी नेता के बस की बात दिखाई नहीं दे रही है।


अंत तक रहा दिग्विजयी का तमगा


अपने नाम के अनुरूप विजय कुमार खण्डेलवाल ने अपने राजनैतिक जीवन में किसी भी चुनाव में हार का सामना नहीं किया। सबसे पहले जिला सहकारी भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष निर्वाचित हुए, उसके बाद 1978 में नगर पालिका अध्यक्ष पद पर विजयी हुए। भाजपा के संस्थापक सदस्य के रूप में 1980 से ही जिले में भाजपा के प्रमुख स्तंभ रहे विजय कुमार खण्डेलवाल 1983 एवं 1990 से 1993 तक में भाजपा जिलाध्यक्ष रहे और संगठन को नई ताकत दी। 1996 में अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव लडऩे वाले श्री खण्डेलवाल ने जीत दर्ज की और उसके बाद 1998, 1999 एवं 2004 का लोकसभा चुनाव भी जीता। जिले में लगातार 4 लोकसभा चुनाव जीतने वाले वे एकमात्र उम्मीदवार रहे एवं 2007 में अपने जीवन के अंतिम समय में दिग्विजयी का तमगा लेकर दिवंगत हुए।


12 साल में जिले से प्रदेशाध्यक्ष बने हेमंत


77 साल के राजनैतिक इतिहास में जिले में हेमंत खण्डेलवाल ने अपने नाम एक ऐसा कीर्तिमान स्थापित किया जो इसके पूर्व जिले में किसी के भी नाम दर्ज नहीं था। देश एवं प्रदेश के प्रमुख राजनैतिक दल के संगठन की मुख्य इकाई में प्रदेशाध्यक्ष जैसे सबसे बड़े पद पर पहुंचने वाले हेमंत खण्डेलवाल कल ही भारतीय जनता पार्टी के निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं जो जिले के लिए गौरव की बात है। पिता के आकस्मिक निधन के बाद हेमंत खण्डेलवाल ने 2008 में लोकसभा का उपचुनाव लड़ा और अपने जीवन की चुनावी राजनीति की शुरूवात की जिसमें वे सफल हुए और उसके बाद 2010 से 2013 तक जिला भाजपा के अध्यक्ष के रूप में जिले में संगठन को नई दिशा और ताकत दी। इसके उपरांत 2013 से 2018 बैतूल विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए। पुन: 2023 में विधानसभा चुनाव जीते। जिलाध्यक्ष के 12 साल बाद हेमंत खण्डेलवाल को भाजपा ने पूरे प्रदेश की कमान सौंप दी है। प्रदेश की राजनीति में सत्तारूढ़ पार्टी में यह पद प्रदेश में मुख्यमंत्री के बाद सबसे पॉवरफुल माना जाता है।


पिता-पुत्र ने बनाया प्रदेश में रिकार्ड


संभवत: मध्यप्रदेश में बैतूल एकमात्र जिला है जहां भाजपा ने पिता-पुत्र दोनों को कई जिम्मेदारियों से एक साथ नवाजा है। पिता विजय कुमार खण्डेलवाल 1996 से 2007 तक सांसद रहे तो पुत्र हेमंत खण्डेलवाल 2008 में हुए उपचुनाव में सांसद बने। पिता-पुत्र दोनों भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रहे। इतना ही नहीं दोनों पिता-पुत्र को भाजपा हाईकमान ने आर्थिक दृष्टिकोण से भी सबसे उपर्युक्त समझा और दोनों पिता-पुत्र को समय-समय पर पार्टी ने प्रदेश स्तर पर कोषाध्यक्ष भी बनाया। इन तीनों पदों का एक साथ पिता-पुत्र को मिलना भी एक रिकार्ड बन गया है जो किसी अन्य जिले में देखने को नहीं मिलेगा।

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