भोपाल – मध्य प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग ने प्रदेश भर की राशन दुकानों में एक नया, डिजिटल निगरानी तंत्र तैयार किया है। इसका उद्देश्य गरीबों को निर्धारित मात्रा में राशन सुनिश्चित करना और गड़बड़ियों पर सख़्त रोक लगाना है।
केंद्र बिंदु:
- 📊 ई‑पॉश मशीन से जुड़ा तौल तराजू
अब हर राशन दुकान का वज़न तराजू ई‑पॉश मशीन से सीधे जुड़ जाएगा। जैसे ही राशन तौला जाएगा, उपभोक्ता की पहचान (सबसे पहले फिंगरप्रिंट द्वारा) और भरी गई मात्रा की जानकारी विभाग के सर्वर पर रीयल‑टाइम भेजी जाएगी। - 🤖 AI‑आधारित विसंगति पहचान
विभाग के सेंसर नेटवर्क और AI सिस्टम मिलकर डेटा का विश्लेषण करेंगे। यदि कोई उपभोक्ता तय मात्रा से कम राशन प्राप्त करता है, तो सिस्टम स्वतः सूचना उत्पन्न करेगा। - 👁️ बायोमैट्रिक विकल्पों की सुविधा
फिंगरप्रिंट काम न करने पर अब फेस‑रिकग्निशन और आंखों की पुतलियों (आईरिस) से भी उपभोक्ता की पहचान की जा सकेगी — ताकि कोई पात्र व्यक्ति राशन से वंचित न रहे। - 🚛 गोदाम से दुकान तक GPS और CCTV निगरानी
प्रदेश के 900 मालवाहक वाहनों को GPS से लैस किया जा रहा है और 250 गोदामों में CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिससे हर मोड़ पर निगरानी और पारदर्शिता बनी रहे।
🕵️♂️ पृष्ठभूमि — क्यों जरूरी है यह सिस्टम?
मार्च 2025 में भोपाल के संत हिरदाराम नगर की एक राशन दुकान से 28 टिन फोर्टिफाइड चावल गायब पाए गए — जो व्यापारी को बेचे जा चुके थे, जबकि उसे गरीब पात्रों को बांटना था। यह घटना विभाग की जांच से उजागर हुई थी — इस प्रकार की गड़बड़ियाँ प्रदेश में पहले भी कई बार सामने आ चुकी हैं।
✅ इस पहल के प्रमुख लाभ:
- पूर्ण पारदर्शिता – उपभोक्ता से लेकर विभाग तक, हर चरण की जानकारी सुनिश्चित होगी।
- गड़बड़ियों पर त्वरित कार्रवाई – AI स्वचालित अलर्ट देने से समय रहते चोरी या बहाली पर नियंत्रण संभव होगा।
- उपभोक्ता का हित सर्वोपरि – बायोमेट्रिक विफलता की स्थिति में भी राशन ना छूटे, इसकी व्यवस्था हो चुकी है।
- हर कदम पर निगरानी – गोदाम, ट्रक, दुकान— सभी पर तकनीकी नजर तेज रहेगी।
- साभार …
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