विरोधी ढूंढ रहे घर पहुंचने के लिए गली
चर्चा चौराहे की
Discussion: चढ़ते सूरज को प्रणाम करना तो पुरानी कहावत है लेकिन बदले दौर में अब चढ़ते सूरज को सलाम करने के लिए कुछ लोग अपनी फितरत भी अवसर के अनुसार बदल लेते हैं। ऐसा ही कुछ हमारे जिले में देखने में आ रहा है। अब यह चर्चा चौराहों पर हो रही है कि एक राजनैतिक दल में कल तक एक प्रभावशाली नेता को पानी पी-पीकर कोसने वाले आज उन्हीं के सामने नतमस्तक होने के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। और ऐसे विरोधी उनके घर पहुंचने के लिए उचित गली की तलाश कर रहे हैं।
हाल ही में जिले के एक दिग्गज नेता प्रदेश के सर्वेसर्वा हो गए हैं। जिनका उन्हीं के दल कुछ लोगों द्वारा हर मौके पर दबे-छिपे विरोध करने का प्रयास किया जाता था। कुछ खुलकर आने की कोशिश करते थे। अब यह चर्चा आम हो रही है कि इनमें से कुछ जिला मुख्यालय के और कुछ आसपास के उप नगरों के रहने वाले इस नेता के ईद-गिर्द दिखने की हर कोशिश कर रहे हैं ताकि लोगों में यह संदेश जाए कि हम तो भैय्या के साथ थे। लेकिन भैय्या भी राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी है इन्होंने अपने पहले उद्बोधन में ही यह संकेत दे दिया है कि वे अपने परिवार से अकेले ही राजनीति में है।
चर्चा है कि अब उनके शब्दों का राजनैतिक क्षेत्र में कई तरह का अर्थ निकाला जा रहा है। कुछ मान रहे हैं कि यह असंतुष्ट रहे नेताओं को सीधा संदेश है। और कुछ यह मान रहे हैं कि साथ रहने वाले भी उनके नाम का दुरूपयोग ना कर सकें ताकि उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव ना पड़ सके। लेकिन एक बात तो स्पष्ट नजर आ रही है कि राजनीति सबकुछ करा देती है।
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