Importance: Desk: हवन को प्राचीन काल से ही एक पवित्र धार्मिक क्रिया माना गया है, लेकिन आधुनिक जीवनशैली में बहुत से लोग इसे सिर्फ एक अनुष्ठान मानकर बाद में हवन कुंड की उपेक्षा कर देते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार, यह न केवल अनुचित है, बल्कि इससे हवन की सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी कम हो सकता है।
🔥 हवन: मन और वातावरण को शुद्ध करने की प्रक्रिया
हवन केवल देवताओं को आहुतियां अर्पित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह घर के माहौल और मनोस्थिति को भी शुद्ध करता है। इसमें प्रयुक्त सामग्री जैसे गुग्गुल, कपूर, गाय का घी और विशेष लकड़ियाँ अग्नि के साथ मिलकर वातावरण को ऊर्जावान और शुद्ध बना देती हैं।
📍 हवन कुंड को कहां रखें?
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार:
✅ अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व दिशा):
- हवन कुंड के लिए यह सबसे शुभ दिशा मानी जाती है।
- अग्नि तत्व की प्रधानता के कारण ऊर्जा का प्रवाह अधिक सकारात्मक होता है।
✅ पूर्व दिशा (पूजा घर):
- यदि पूजा स्थान पूर्व दिशा में है तो वहां भी हवन कुंड रखा जा सकता है।
- सूर्य की उर्जा इस दिशा को पवित्र और उन्नत बनाती है।
🚫 कहां न रखें हवन कुंड?
❌ दक्षिण या पश्चिम दिशा में न रखें
- वास्तु शास्त्र में ये दिशाएं नकारात्मकता और रुकावटों से जुड़ी मानी जाती हैं।
- यहां हवन कुंड रखने से ऊर्जा का प्रभाव घट सकता है या विपरीत असर हो सकता है।
🧭 महत्वपूर्ण सावधानियां
- धातु का कुंड (तांबा/पीतल):
- इसे उपयोग के बाद अच्छे से साफ करें और स्वच्छ कपड़े से ढककर रखें।
- मिट्टी या लकड़ी का कुंड:
- एक बार उपयोग के बाद इसे किसी पवित्र स्थान पर गाड़ दें या बहा दें।
- स्वच्छता:
- कुंड को कभी भी गंदे, अपवित्र या भीड़भाड़ वाली जगह के पास न रखें।
- हवन के प्रभाव को स्थायी बनाना है तो इसे सम्मान और ध्यान के साथ रखना अनिवार्य है।
- साभार…
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