Examination: इंदौर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत संचालित स्नातक पाठ्यक्रमों में मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग परीक्षा नियमों में अहम बदलाव करने जा रहा है। प्रस्तावित व्यवस्था के तहत अब किसी विषय में फेल होने के बावजूद छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाएगा। संबंधित विषय की परीक्षा वे अगले सत्र में देंगे।
विभाग प्रथम वर्ष से पूरक (सप्लीमेंट्री) परीक्षा व्यवस्था को बंद करने पर भी विचार कर रहा है। यह लागू होने पर छात्रों को अतिरिक्त मौका नहीं मिलेगा और उन्हें मुख्य परीक्षा में ही विषय पास करना होगा। नई व्यवस्था 2025-26 सत्र से स्नातक प्रथम वर्ष में लागू की जाएगी।
सत्र 2020-21 से एनईपी के तहत बीए, बीएससी, बीकॉम समेत सभी स्नातक पाठ्यक्रमों में 3 मेजर विषय, 2 माइनर विषय, हिंदी और अंग्रेजी के फाउंडेशन कोर्स, योग व पर्यावरण के वैल्यू एडेड कोर्स, एक इलेक्ट्रिव और एक वोकेशनल विषय चुनने की सुविधा दी जा रही है।
नए नियमों के तहत मुख्य परीक्षा 70 अंकों की और प्रोजेक्ट व आंतरिक मूल्यांकन 30 अंकों का होगा। पास होने के लिए अब मुख्य परीक्षा में कम से कम 23 अंक और आंतरिक में कम से कम 10 अंक लाना अनिवार्य होगा। पहले केवल कुल 33 अंक लाना पर्याप्त था।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव छात्रों को नियमित पढ़ाई और विषय की गहरी समझ के लिए प्रेरित करेगा। वहीं, फेल होने पर प्रमोशन का नियम तत्कालिक दबाव कम करेगा, लेकिन पूरक परीक्षा बंद होने से मुख्य परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करना अनिवार्य हो जाएगा।
डीएवीवी परीक्षा नियंत्रक डॉ. अशेष तिवारी ने बताया कि विभाग से आदेश मिलने के बाद ही व्यवस्था लागू होगी। अध्यादेश 14 (1) के तहत फेल विषय को अगले वर्ष की मुख्य परीक्षा में देने का नियम अपनाया जाएगा, जिस पर विभाग विचार कर रहा है।
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