नागबासुन उत्सव में की नाग देवता की पूजा
legacy: घोड़ाडोंगरी(नीलेश मालवीय)। रातामाटी अंतर्गत ग्राम सालीढाना में ऋ षि पंचमी के उपलक्ष्य पर आदिवासी समाज ने वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। इस अवसर पर लकड़ी से बनी नाग देवता की आकृति की पूजा की गई। आदिवासी भाषा में मंत्रोच्चारण कर नाग देवता का आह्वान किया गया।
स्थानीय मान्यता है कि इस अनुष्ठान के दौरान नाग देवता श्रद्धालु के शरीर में सवारी करते हैं। वहीं यदि किसी व्यक्ति में अजगर देवता का वास होता है, तो वह व्यक्ति मुंह से मुर्गी या बकरी पकडक़र नाग देवता के स्थान तक लेकर आता है। इस परंपरा को समाज में नागबासुन कहा जाता है।
ग्राम रातामाटी के सरपंच गोविंद पंद्राम ने बताया कि इस परंपरा के अनुसार अखाड़ी (हरी सब्जियां) ऋ षि पंचमी से पूर्व नहीं खाई जातीं और पूजा सम्पन्न होने के बाद ही सेवन शुरू किया जाता है। ग्राम सालीढाना के शिवबालक भगत ने कहा कि हमारे आदिवासी समाज में यह परंपरा पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है। नाग देवता की पूजा से गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती है और बुराइयाँ दूर होती हैं। नागबासुन हमारी आस्था और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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