सर्दियों में कड़ाके की ठंड की संभावना
Monsoon: नई दिल्ली। इस साल मानसून पूरे देश पर मेहरबान रहा है। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में लगातार बने सिस्टमों की वजह से उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक जोरदार बारिश हुई। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार मजबूत मानसून के पीछे सबसे बड़ा कारण ला-नीना का प्रभाव है। यही स्थिति आने वाली सर्दियों पर भी असर डालेगी।
सितंबर से नवंबर के बीच और मजबूत होगा ला-नीना
अमेरिकी एजेंसियों के पूर्वानुमान के मुताबिक सितंबर से नवंबर के बीच ला-नीना बनने की संभावना करीब 53 फीसदी है, जो साल के अंत तक बढ़कर 58 फीसदी तक पहुंच सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार का ला-नीना अपेक्षाकृत कमजोर रहेगा, लेकिन इसके बावजूद यह ठंड का एक मजबूत खाका तैयार करेगा।
ला-नीना क्या है?
ला-नीना एक प्राकृतिक जलवायु प्रणाली है, जिसमें प्रशांत महासागर का सतही जल सामान्य से ठंडा हो जाता है। इसका असर ऊपरी वायुमंडलीय पैटर्न पर पड़ता है और दुनिया भर का मौसम प्रभावित होता है। इसके विपरीत, एल-नीनो में समुद्र का पानी सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है।
- ला-नीना का असर : भारत और एशिया में ज्यादा बारिश और कड़ाके की ठंड, अफ्रीका व दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में सूखा, अटलांटिक में तूफानों की तीव्रता में वृद्धि।
- एल-नीनो का असर : भारत में गर्मी और सूखा, जबकि दक्षिणी अमेरिका में अतिरिक्त बारिश।
पहले भी दिखा है असर
2020 से 2022 तक लगातार तीन साल ला-नीना सक्रिय रहा था, जिसे “ट्रिपल डिप ला-नीना” कहा गया। इसके बाद 2023 में एल-नीनो ने दस्तक दी। वैज्ञानिक मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन की वजह से अब इन घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता पहले से ज्यादा हो सकती है।
कड़ाके की ठंड के लिए रहें तैयार
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार भारत में सामान्य से ज्यादा ठंड पड़ने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिकों ने लोगों को पहले से तैयारी करने और ठंड से बचाव के उपाय अपनाने की सलाह दी है।
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