Vastu Shastra: आजकल लोग अपने घर वास्तु शास्त्र के अनुसार बनवाना पसंद करते हैं। माना जाता है कि अगर घर का निर्माण सही दिशा में हो, तो इसका लाभ न केवल निजी जीवन में बल्कि करियर और आर्थिक स्थिति पर भी दिखाई देता है। वहीं, वास्तु दोष होने पर पारिवारिक रिश्तों से लेकर पेशेवर जीवन तक प्रभावित हो सकता है। खासकर बाथरूम की दिशा को वास्तु में बेहद अहम माना गया है।
उत्तर दिशा क्यों है महत्वपूर्ण?
वास्तु के अनुसार उत्तर दिशा धन और सफलता का प्रतीक है। यह दिशा व्यापार में वृद्धि, नए अवसर और करियर में उन्नति दिलाने वाली मानी जाती है। इसलिए इस दिशा को हमेशा साफ-सुथरा और सक्रिय रखना चाहिए। यदि यहां कोई दोष हो तो आर्थिक संकट और बार-बार असफलता का सामना करना पड़ सकता है।
उत्तर दिशा में बाथरूम क्यों नहीं होना चाहिए?
यदि घर या ऑफिस में बाथरूम उत्तर दिशा में बना है तो यह शुभ नहीं माना जाता। इसका असर इस तरह हो सकता है:
- मेहनत के बावजूद सफलता न मिलना।
- करियर और व्यापार में रुकावटें।
- आर्थिक परेशानियां।
- बार-बार मानसिक तनाव।
वास्तु उपाय
अगर बाथरूम को बदलना संभव न हो, तो इन आसान उपायों से वास्तु दोष को कम किया जा सकता है:
- बाथरूम हमेशा साफ रखें और दुर्गंध न होने दें।
- दरवाजे को भूरे रंग में पेंट करें और अंदर की दीवारों पर हल्का नीला या हरा रंग करें।
- दरवाजे पर वास्तु यंत्र या छोटा दर्पण लगाएं।
- बाथरूम को रोजाना नमक के पानी से साफ करें।
- बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखें।
बाथरूम के लिए शुभ दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार बाथरूम इन दिशाओं में होना शुभ है:
- उत्तर-पश्चिम (North-West)
- दक्षिण-पूर्व (South-East)
- दक्षिण-पश्चिम (South-West)
इन दिशाओं में बने बाथरूम से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। साथ ही ध्यान रखें कि बाथरूम कभी भी पूजा कक्ष या किचन के पास न बनवाएं।
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