स्क्रैप पॉलिसी का लाभ छिन रहा है? — वेंडर कर रहे हैं सर्टिफिकेट की अनैतिक बिक्री, अफसरों में चिंता
Scam: ग्वालियर। प्रदेश सरकार ने पुराने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाने व उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करने के लिए स्क्रैप पॉलिसी में बदलाव किया है — अब पुराने वाहन स्क्रैप कराकर नया वाहन खरीदने पर रोड-टैक्स में पहले 25% की जगह 50% तक छूट मिलने की सुविधा दी गई है। इस फैसले के बाद आस-पास के राज्यों से स्क्रैप-सर्टिफिकेट बेचने वाले वेंडर सक्रिय हो गए हैं जो कथित तौर पर 40-40 हजार रुपये प्रति सर्टिफिकेट लेकर सर्टिफिकेट बेच रहे हैं; इससे नीति का उद्देश्य प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
क्या हो रहा है ग्वालियर में
परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाहरी कंपनियाँ/वेंडर मध्यप्रदेश में सक्रिय होकर ऐसे सर्टिफिकेट बेच रहे हैं जिनके बदले राज्य को पुराने वाहनों के वास्तविक रूप से नष्ट होने का लाभ नहीं मिल रहा। ग्वालियर में कुछ वेंडर खुलकर बता रहे हैं कि वे माहवार सैकड़ों सर्टिफिकेट उपलब्ध कराते हैं और शहर में हर माह 100 से ज्यादा सर्टिफिकेट जारी होने के दावे किए जा रहे हैं — पर असल में कितनी गाड़ियाँ स्क्रैप हो रही हैं, इसकी पुष्टि नहीं।
शोरूम और नेटवर्क कैसे काम कर रहा है
सूत्र बताते हैं कि ऑटोमोबाइल शोरूमों तक वेंडरों का नेटवर्क फैला हुआ है — नया वाहन खरीदते समय ग्राहक यदि स्क्रैप-सर्टिफिकेट मांगता है तो शोरूम वेंडर से जुड़े सर्टिफिकेट उपलब्ध करवा देते हैं और उसके बदले पैसे लेते हैं। खबरों में कहा जा रहा है कि खासकर महंगे/लग्जरी वाहनों पर यह गिरवी व्यवहार अधिक हो रहा है।
समस्या का निहितार्थ
- यदि बाहर से जारी सर्टिफिकेट पर नए वाहन का रजिस्ट्रेशन कर लिया गया और पुराने वाहन वास्तव में वहीं नष्ट नहीं हुए तो पर्यावरण लक्ष्यों और स्क्रैप-पॉलिसी के उद्देश्यों (पुराने प्रदूषक वाहनों को हटाना) का फायदा प्रदेश को नहीं मिलेगा।
- सर्टिफिकेटों की असलिता न होने से राजस्व/लाभ का दुरुपयोग व धोखाधड़ी की संभावना बनती है।
सरकारी नियम/शर्तें और वेंडर दिक्कतें
सरकार के निर्देशों के अनुसार रोड-टैक्स में 50% छूट केवल राज्य में स्थित पंजीकृत (RVSF — Registered Vehicle Scrapping Facility) द्वारा जारी Certificate of Deposit पर ही मिलेगी; यदि सर्टिफिकेट किसी RVSF-बाहरी राज्य से जारी हुआ तो छूट लागू नहीं होनी चाहिए — यही नियम शोरूम/रजिस्ट्रेशन से जुड़ी जाँच की बुनियाद है। बावजूद इसके स्थानीय स्तर पर सर्टिफिकेटों के बाजार के कारण शंकाएँ बढ़ रही हैं।
क्या होना चाहिए — विशेषज्ञ सुझाव / अपेक्षित कार्रवाई
- कठोर वेरिफिकेशन: RTO/परिवहन विभाग को Certificate of Deposit की सत्यता डिजिटल-आधारित तरीके से (QR/ऑनलाइन वैरिफिकेशन) तुरंत जाँचना चाहिए।
- ऑडिट और रैण्डम चेक: जिन सर्टिफिकेटों के आधार पर रजिस्ट्रेशन हुए हैं, उन वाहनों के भौतिक स्क्रैप-लॉकेशन पर रैण्डम निरीक्षण कराए जाएँ।
- कड़ी सजा: फर्जी सर्टिफिकेट बेचने/खरीदने वाले वेंडरों व शोरूमों पर कड़ी कारवाई व इत्मिनान के लिए लोकहित याचिका/एफआईआर की गम्भीरता से जांच।
- लोक-जागरूकता: वाहन-खरीदारों को यह स्पष्ट रूप से बताया जाए कि किसी बाहरी/अप्रमाणित सर्टिफिकेट पर वे छूट का लाभ खो सकते हैं — रजिस्ट्रेशन के समय RTO द्वारा खरीदार को सत्यापन की प्रक्रिया दिखानी चाहिए।
- साभार…
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