Visit: भोपाल। शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश के शक्तिपीठों और देवी धामों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। प्रदेश के कई प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर न सिर्फ आस्था के केंद्र हैं, बल्कि उनकी मान्यताओं और परंपराओं के कारण भी प्रसिद्ध हैं। आइए जानते हैं ऐसे चार अद्भुत देवी मंदिरों के बारे में—
🔱 बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा (आगर-मालवा)
- लखुंदर नदी किनारे स्थित यह मंदिर तंत्र साधना का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है।
- मान्यता है कि यहीं से महाभारत काल में पांडवों को विजयश्री का वरदान मिला था।
- यहां माता तीन रूपों में विराजित हैं—दाएं महालक्ष्मी, बाएं सरस्वती और बीच में बगलामुखी।
- गर्भगृह में करोड़ों रुपए की स्वर्ण-रजत आभा और सामने 80 फीट ऊंची दीपमाला इसकी भव्यता बढ़ाती है।
🩸 भूखी माता मंदिर, उज्जैन
- शिप्रा नदी किनारे स्थित इस मंदिर में प्राचीन समय में प्रतिदिन नरबलि दी जाती थी।
- माता रक्तपान करती थीं, इसी कारण उन्हें भूखी माता कहा जाता है।
- आज भी यहां मदिरा और पशु बलि की परंपरा है। श्रद्धालु स्वयं मदिरा और बकरा/मुर्गा चढ़ाते हैं।
- यहां भूखी माता और धूमावती माता एक साथ विराजित हैं, जिन्हें बहनें भी माना जाता है।
🙏 बीस भुजा देवी मंदिर, गुना
- बजरंगगढ़ की पहाड़ी पर स्थित यह मंदिर करीब 5,500 साल पुराना बताया जाता है।
- मान्यता है कि यहां कर्ण ने 9 साल तक तपस्या की थी।
- देवी की 20 भुजाओं वाली प्रतिमा हर किसी के लिए अद्भुत है, जिसे गिनना आसान नहीं।
- पुजारी मानते हैं कि मां अपने प्रिय भक्तों को ही बीस हाथों के साथ दर्शन देती हैं।
✨ कंकाली देवी मंदिर, भोपाल
- रायसेन रोड स्थित गुदावल गांव का यह शक्तिपीठ लगभग 300 साल पुराना है।
- यहां की अनोखी प्रतिमा का सिर हमेशा 45 डिग्री झुका रहता है, लेकिन नवरात्रि में विशेष हवन के समय यह कुछ क्षणों के लिए सीधा हो जाता है।
- भक्त मानते हैं कि इस अद्भुत चमत्कार के दर्शन करने वाले की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
- खुदाई के दौरान मिली मूर्ति ने नरकंकालों की माला पहन रखी थी, इसलिए इसे कंकाली देवी कहा गया।
- साभार…
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