Temple: भोपाल। करवा चौथ के मौके पर जहां देशभर में आस्था और परंपरा के रंग बिखरते हैं, वहीं मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित कोलार पहाड़ी का करवा चौथ मंदिर अपनी अनूठी पहचान के लिए जाना जाता है। इसे देश का पहला करवा चौथ को समर्पित मंदिर माना जाता है, जहां हर साल बड़ी संख्या में महिलाएं और जोड़े चंद्रदर्शन तक व्रत रखकर पूजन-अर्चना करते हैं।
मंदिर के संस्थापक ओम प्रकाश महाराज के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना वर्ष 2002 में वैदिक पद्धति से की गई थी। उन्होंने बताया कि “यह सवाई माधोपुर की चौथ माता से अलग है। भोपाल का यह मंदिर करवा चौथ पर्व और इससे जुड़े देवताओं के लिए विशेष रूप से समर्पित है।”
मंदिर में शिव-पार्वती, गणेश जी, कार्तिक देव और चंद्रमा की मूर्तियां स्थापित हैं, जिनकी पूजा 108 नामों और वैदिक मंत्रों से की जाती है। करवा चौथ की रात यहां लगभग 70 से 80 जोड़े पहुंचकर पारंपरिक विधि से पूजन करते हैं। पूजन के बाद भंडारा और सांस्कृतिक कार्यक्रम देर रात तक चलते हैं। इस वर्ष भी आयोजन शाम 7 बजे से शुरू होकर आधी रात तक चलेगा।
महाराज ने बताया कि मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह किसी ट्रस्ट या दान समिति से नहीं जुड़ा है — श्रद्धालुओं की भागीदारी से ही सभी व्यवस्थाएं संचालित होती हैं। उन्होंने कहा, “जब मंदिर का निर्माण हुआ था, तब चंद्रोदय 8:18 बजे हुआ था, आज भी लगभग उसी समय यानी 8:20 से 8:25 बजे के बीच चांद के दर्शन होते हैं।”
बालाघाट से आए श्रद्धालु मुंगेश्वर मेजराम ने बताया कि उन्होंने पहली बार इस मंदिर के बारे में सुना था और दर्शन करने आए हैं। उन्होंने कहा, “मंदिर बहुत चमत्कारिक है, यहां दर्शन करने से मन को शांति और आस्था में दृढ़ता मिलती है।”
मंदिर परिसर की विशेषताएं
करवा चौथ मंदिर का परिसर भक्ति और शक्ति का अद्भुत संगम है। यहां 51 मूर्तियां स्थापित हैं — जिनमें राम-सीता, राधा-कृष्ण, हनुमान जी, नवग्रह, शिव-पार्वती और मां काली के मंदिर शामिल हैं। वर्ष 2011 में 12 ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई थी और तीन वर्ष पूर्व नवग्रह मंदिर का निर्माण हुआ। हर कोने में भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
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