Big decision: शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार अब मंदिरों में मिलने वाले दान और चढ़ावे की रकम को सरकारी योजनाओं या निर्माण कार्यों पर खर्च नहीं कर पाएगी। मंगलवार को हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया।
⚖️ कोर्ट का आदेश – “धन देवता का है, सरकार का नहीं”
जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और राकेश कैंथला की खंडपीठ ने स्पष्ट कहा —
“देवता एक न्यायिक व्यक्ति हैं। धन देवता का है, सरकार का नहीं। ट्रस्टी केवल संरक्षक हैं। मंदिर के धन का कोई भी दुरुपयोग आपराधिक विश्वासघात (Criminal Breach of Trust) माना जाएगा।”
📜 अब मंदिर के दान की रकम से ये काम नहीं होंगे
- सरकारी योजनाओं (जैसे सड़क, पुल, भवन आदि) में उपयोग पर रोक।
- मंदिर अधिकारियों या कमिश्नर के लिए वाहन खरीदने पर प्रतिबंध।
- VIP उपहार, स्मृति चिन्ह या मंदिर की तस्वीरें खरीदने में धन खर्च नहीं किया जा सकेगा।
- किसी भी निजी व्यवसाय, उद्योग, दुकान, मॉल या होटल संचालन में निवेश नहीं होगा।
💼 पारदर्शिता के लिए नए निर्देश
कोर्ट ने आदेश दिया कि—
- सभी मंदिर अपनी मासिक आय-व्यय का ब्योरा अपनी वेबसाइट या नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करें।
- दान से वित्तपोषित परियोजनाओं का पूरा विवरण ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाए।
इससे श्रद्धालुओं को यह भरोसा रहेगा कि उनका दान धार्मिक और समाजोपयोगी कार्यों में ही खर्च हो रहा है।
⚖️ याचिका का पृष्ठभूमि
यह मामला कश्मीर चंद शांड्याल द्वारा दायर जनहित याचिका से जुड़ा था। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि
‘हिंदू सार्वजनिक धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ निधि अधिनियम, 1984’ का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
🚫 धन के दुरुपयोग पर सख्त चेतावनी
कोर्ट ने कहा —
“अगर किसी ट्रस्टी या अधिकारी द्वारा मंदिर के धन का दुरुपयोग पाया जाता है, तो उससे यह राशि वसूल की जाएगी और वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होगा।”
🕉️ पृष्ठभूमि: सरकारें मंदिरों से धन मांगती रही हैं
- फरवरी 2025 में कांग्रेस सरकार ने ‘सुख शिक्षा योजना’ और ‘मुख्यमंत्री सुखाश्रय योजना’ के लिए मंदिरों से अंशदान मांगा था।
- पूर्व भाजपा सरकार ने 2018 में मंदिरों की 15% आय गोशालाओं को देने का आदेश दिया था।
📊 राज्य के 36 मंदिर सरकारी नियंत्रण में
हिमाचल प्रदेश में कुल 36 प्रमुख मंदिर सरकारी नियंत्रण में हैं।
इनमें हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं और करीब ₹4 अरब (400 करोड़) से अधिक की राशि चढ़ावे के रूप में जमा होती है।
🌼 फैसले का असर
इस आदेश के बाद —
- मंदिरों की राशि का दुरुपयोग और बंटवारा रुक सकेगा।
- सरकारी हस्तक्षेप और अधिकारियों की मनमानी पर अंकुश लगेगा।
- श्रद्धालुओं के दान का उपयोग सिर्फ धार्मिक और जनकल्याणकारी कार्यों में होगा।
- साभार…
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