Monsoon: भोपाल। इस साल मध्यप्रदेश में मानसून ने शानदार प्रदर्शन किया। कुल 3 महीने 28 दिन तक बरसात हुई और पूरे सीजन में सामान्य से 15 प्रतिशत अधिक (115%) बारिश दर्ज की गई। यह पिछले 10 वर्षों में तीसरी बार है जब प्रदेश में इतनी ज्यादा वर्षा हुई है।
मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मानसून ने 16 जून को प्रदेश में एंट्री की थी और 13 अक्टूबर को वापसी की। शुरूआत में पूर्वी मध्यप्रदेश आगे रहा, लेकिन सितंबर में पश्चिमी संभागों ने बाजी मार ली।
📍 गुना सबसे ज्यादा भीगा, शाजापुर सबसे सूखा
प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश गुना जिले में दर्ज की गई, जहां 65.7 इंच पानी गिरा। वहीं श्योपुर में औसत से 216.3 प्रतिशत बारिश हुई। दूसरी ओर शाजापुर ऐसा जिला रहा जहां सबसे कम 28.9 इंच (81.1%) बारिश हुई, जो “बारिश की भारी कमी” की श्रेणी में आता है।
🌦️ पूर्वी हिस्सा पीछे, पश्चिमी हिस्सा आगे निकला
मानसून की शुरुआत में जबलपुर, सागर, रीवा और शहडोल संभाग में बेहतर बारिश हुई थी। लेकिन सितंबर में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग में तेज बारिश के चलते पश्चिमी क्षेत्र आगे निकल गया।
पूर्वी हिस्से में औसत से 17% अधिक, जबकि पश्चिमी हिस्से में 25% अधिक बारिश दर्ज की गई।
💧 इंदौर की शुरुआती सुस्ती, फिर जोरदार वापसी
शुरुआती हफ्तों में इंदौर और उज्जैन संभाग की स्थिति कमजोर रही। एक समय तो इंदौर में सबसे कम बारिश थी, लेकिन सितंबर में हुई तेज बरसात ने कमी पूरी कर दी।
बड़वानी, खरगोन और खंडवा में भी बाद के महीनों में स्थिति सुधरी, हालांकि उज्जैन और शाजापुर में कोटा पूरा नहीं हो सका।
🌾 अच्छी बारिश से जलसंकट नहीं, सिंचाई को फायदा
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, इस वर्ष की बारिश से भूजल स्तर बढ़ा है और जलाशयों में पर्याप्त भंडारण हुआ है। इसका लाभ पेयजल आपूर्ति और रबी फसलों की सिंचाई में मिलेगा।
“अगले तीन दिनों तक प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों में हल्की बूंदाबांदी संभव है, लेकिन तेज बारिश की संभावना नहीं है।”
— डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक
📊 10 साल का बारिश रिकॉर्ड
- 2017: सबसे कम, 29.9 इंच
- 2018: 34.3 इंच
- 2019: सबसे ज्यादा, 53 इंच
- 2023: 44.1 इंच
- 2025: 45.2 इंच — तीसरी बार सबसे अधिक बारिश
☁️ ग्वालियर-चंबल संभाग रहा अव्वल
ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, अशोकनगर, भिंड, मुरैना, दतिया और श्योपुर जिलों में कोटे से ज्यादा पानी गिरा। प्रतिशत के लिहाज से श्योपुर प्रदेश में सबसे आगे रहा।
साभार…
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