संत चिंधिया साधु बाबा की अनोखी परंपरा का पालन आज भी; कार्तिक बैकुंठ चौदस पर लगता है दो दिवसीय मेला
Promise: चिचोली (आनंद रामदास राठौर)। बैतूल जिले की चिचोली तहसील के चूड़िया ग्राम में आज भी 200 वर्ष पुरानी परंपरा जीवित है। गांव वालों ने संत चिंधिया साधु बाबा को दिया वचन आज तक निभाया है — इस गांव में दूध, दही और मही न तो बिकता है और न ही कोई इसका व्यापार करता है।
ग्राम के बुजुर्ग हरि यादव बताते हैं कि 18वीं शताब्दी में जन्मे संत चिंधिया साधु बाबा ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में गांव वालों से वचन लिया था कि “इस गांव में कोई भी दूध-दही का व्यवसाय नहीं करेगा, बल्कि इसे निशुल्क ही वितरित करेगा।” तब से आज तक यह परंपरा चली आ रही है।
भले ही आज दूध का भाव ₹50 प्रति लीटर हो और आसपास के गांवों में डेयरियां खुल गई हों, लेकिन चूड़िया ग्राम में न कोई डेयरी है, न दूध बेचने की परंपरा। गांव के लोग इसे श्रद्धा से “बाबा का नियम” मानकर निभा रहे हैं।
🌼 बाबा के चमत्कारों की गाथा
संत चिंधिया साधु बाबा को बचपन से ही चमत्कारिक शक्तियों का धनी माना गया। बुजुर्गों के अनुसार वे जंगल में चरवाहों की भूख मिटाने के लिए मिट्टी से गुड़ बना देते थे।
अंग्रेज़ी शासनकाल में एक दरोगा ने बाबा को सामान ढोने का आदेश दिया, लेकिन जब दरोगा ने पलटकर देखा तो बाबा के सिर पर रखी गठरी हवा में दो फीट ऊपर झूल रही थी। यह देखकर वह बाबा के चरणों में गिर पड़ा और शिष्य बन गया।
🌸 सिंगाजी महाराज के परम भक्त
कहा जाता है कि साधु बाबा अपनी मणि से 162 किमी दूर खंडवा जिले के सिंगाजी धाम में अदृश्य रूप से पहुंच जाते थे और पूजा के बाद फिर वापस चूड़िया लौट आते थे।
उनकी मणि आज भी चूड़िया के खेतों में स्थित है, जहां हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा और बैकुंठ चौदस पर विशाल मेला आयोजित होता है।
🕉️ परंपरा और श्रद्धा का प्रतीक “लाल निशान”
गांव के ठाकुर नरेंद्र सिंह बताते हैं कि बाबा की मणि पर उनके वंशजों द्वारा हर वर्ष लाल निशान (पगड़ी) चढ़ाई जाती है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
🌺 हैजा महामारी से बचाया था गांव
सन 1918 में जब क्षेत्र में भयानक हैजा महामारी फैली, तब साधु बाबा ने ग्राम चूड़िया में शक्ति की स्थापना कर महामारी को समाप्त किया। आज भी वह शक्ति मंदिर गांव के बीच स्थित है, जहां लोग जल चढ़ाकर देवी की पूजा करते हैं।
🕯️ बाबा के नियम का उल्लंघन करने पर आता संकट
गांव वालों का विश्वास है कि जिसने भी बाबा के नियम को तोड़कर दूध या दही बेचने की कोशिश की, उसे पशुओं के मरने या व्यापार में घाटे जैसी विपत्तियों का सामना करना पड़ा।
🎡 कार्तिक बैकुंठ चौदस पर लगता है मेला
इस वर्ष भी श्री साधु बाबा समाधि, चूड़िया में 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) को शाम 7 बजे निशान चढ़ाने के साथ मेला प्रारंभ होगा, जो दो दिन तक चलेगा।
मेले में दिन और रात दोनों सत्रों में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं, और बाबा के आशीर्वाद के लिए मणि पर मत्था टेकते हैं।
साभार…
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