CM मोहन के कार्यकाल में 143 करोड़ की उड़ान
Rent: मध्यप्रदेश सरकार के विमान और हेलिकॉप्टर किराए पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। विधानसभा में कांग्रेस विधायकों प्रताप ग्रेवाल और पंकज उपाध्याय के प्रश्नों के उत्तर में सरकार ने जो आंकड़े पेश किए, उन्होंने विमानन खर्च में आई तेज़ बढ़ोतरी की पूरी तस्वीर साफ कर दी।
11 महीने में 90.7 करोड़ का भुगतान
विधानसभा में प्रस्तुत दस्तावेज़ों के अनुसार
जनवरी 2021 से नवंबर 2025 तक राज्य सरकार ने कुल 290 करोड़ रुपये विमान किराये पर खर्च किए।
सिर्फ जनवरी–नवंबर 2025 के बीच ही निजी कंपनियों को 90.7 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ।
CM मोहन यादव के कार्यकाल में 143 करोड़ खर्च
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वीकार किया कि
- 2019 में विमान किराये पर खर्च 1.63 करोड़ रुपये था,
- जो बढ़कर 2025 में 90.7 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष तक पहुँच गया।
जनवरी 2024 से नवंबर 2025 (सीएम मोहन के कार्यकाल) के दौरान ही 143 करोड़ रुपये किराए के विमानों पर खर्च हुए।
2023 में 30% तक किराया बढ़ा, वजहें गिनाईं
सरकार ने किराया बढ़ाने के पीछे कई कारण बताए—
- कोविड के बाद पर्यटन और उड़ानों की मांग बढ़ी
- विमान निर्माण और उपलब्धता पर कोविड का असर
- ईंधन व मेंटेनेंस महंगा हुआ
- आगामी चुनावों के कारण विमानों की मांग और बढ़ने का अनुमान
इन तर्कों को आधार बनाकर सरकार ने विभिन्न श्रेणी के विमानों व हेलीकॉप्टरों का किराया 20% से 30% तक बढ़ा दिया।
बढ़े हुए किराए के उदाहरण
- 4.45 लाख रुपये/घंटा (2022–23) → 5.70 लाख रुपये/घंटा (2024)
- 3.50 लाख रुपये/घंटा → 4.75 लाख रुपये/घंटा
- कुछ हेलीकॉप्टर श्रेणियों में किराया 5.29 लाख रुपये/घंटा तक पहुँचा
सरकार के पास केवल एक उड़ान योग्य हेलीकॉप्टर
विधानसभा में दिए जवाब के अनुसार
- मई 2021 में सरकारी विमान दुर्घटनाग्रस्त होकर ग्वालियर एयरबेस पर खड़ा है और उड़ान योग्य नहीं है।
- फिलहाल सरकार के पास सिर्फ एक हेलीकॉप्टर ही उड़ान योग्य स्थिति में है।
निजी विमानों पर निर्भरता बढ़ी, सरकारी बेड़ा सिकुड़ा
दस्तावेज़ बताते हैं कि—
- सरकारी विमानों की हालत लगातार खराब हुई
- बेड़ा छोटा हुआ
- और सरकार की निजी कंपनियों पर निर्भरता कई गुना बढ़ गई
परिणामस्वरूप, विमान किराये का खर्च हर साल रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच रहा है।
साभार….
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