मनोहर अग्रवाल
Artwork: खेड़ीसावलीगढ़। सतपुड़ा पर्वत की ऊंची-ऊंची पर्वत शृंखलाओं के मध्य से कलरव करती प्रवाहमान आदि गंगा सूर्यपुत्री मा ताप्ती नदी के तट अनेकों खनिज संपदा का भंडार है। वही पहाडिय़ों में बड़े अदभुत और प्राकृतिक शिल्प कला भी पहाडिय़ों में दिखलाई दे रही है। यह दृश्यम खेड़ी से दो तीन किलोमीटर दूर दक्षिण वन मंडल सामान्य के ताप्ती वन परिक्षेत्र अंतर्गत वन भूमि का है। जहां लगभग 500 मीटर पहाड़ी भू भाग पर हर पत्थर की आकृति किसी कॉलम या बीम की आकृति के जैसे है यहां 20 फिट तक लंबी शिलाखंड बिल्कुल किसी खंभे के जैसे आकृति वाली ऐसे लगती है कि किस कारीगर ने इस शिल्प विज्ञान को छिपा रखा है जो आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
इस विषय में जिला खनिज अधिकारी श्री नागवंशी से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया की यह हजारों वर्ष पुराना ज्वाला मुखी का लावा है जिसने पत्थर के रूप आकृति लेकर पहाड़ी से बाहर आया है यह कोई चमत्कार नहीं है।
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